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खुले बाजार से बीज खरीदने विवश हो रहे किसान, घटिया बीज की बढ़ी आशंका
डिजिटल डेस्क, उमरिया। जिले में आज भी बीज वितरण का कार्य प्रभावित होने के कारण किसानों ने निजी दुकानदारों से धान तथा मक्का का बीज खरीदना शुरू कर दिया है। जिसमें बीज की गुणवत्ता संदिग्ध भी हो सकती है। इसके अलावा योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। किसानों को 38 समितियों तथा कृषि विस्तार अधिकारियों के माध्यम से प्रतिवर्ष खाद बीज दिया जाता था। जहां इस वर्ष भी किसान चक्कर काट रहे थे।
इस वर्ष 88 हजार हेक्टयर पर खरीफ की खेती का लक्ष्य रखा रखा गया है, जिसमें 1 लाख 43 हजार किसान कृषि करेंगे। बीज वितरण का लक्ष्य 10 हजार क्विंटल रखा गया है, लेकिन सहकारी समितियों तथा कृषि विभाग से अभी वितरण शुरू नहीं किया गया है। इसका कारण ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों की हड़ताल है। बोनी और नर्सरी का समय आ जाने केे कारण किसानों ने दुकानों से क्रय करना शुरू कर दिया है।
बताया गया कि जिले में खाद-बीज के 50 लायसेंसधारी दुकानदार हैं। जिले में आज भी खाद व बीज की प्रयोगशाला नहीं है। खाद-बीज परीक्षण करने इंदौर व जबलपुर की लैबों में नमूने भेजने पड़ते हैं जहां से रिपोर्ट आने में न्यूनतम 15 दिन का समय लग जाता है। इससे कृषि में विलंब होने की आशंका बनी रहती है।
मंहगा पड़ रहा दुकानों का बीज
किसान जो दुकानों से बीज क्रय कर रहे हैं इस पर उन्हे राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। जबकि केन्द्रों से खरीदनेे पर उन्हे सामुदायिक नर्सरी में नि:शुल्क, सूरजधारा तथा अन्नपूर्णा योजना में एससी, एसटी निर्धन किसानों को 75 प्रतिशत की छूट मिलती है। इसी तरह समितियों से उठाने पर उन्हे कुछ छूट के साथ किसान क्रेडिट कार्ड से उधारी खरीदने की सुविधा मिलती है। किसान इस लाभ से वंचित हो रहे हैं।
बताया गया कि इस वर्ष शासन ने सामुदायिक नर्सरी के लिए 120 हेक्टयर का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसमें 72 सौ हेक्टयर में धान लगाई जाएगी और छोटे किसान लाभान्वित हो सकते हैं। एक हेक्टेयर प्रति किसान खेती कर लाभ उठा सकता है। इस खेती का उद्देश्य अन्य किसानों को समुन्नत खेती के तरीके समझाना भी है।
विलंब से पहुंच रहा बीज
बताया गया कि हड़ताल के कारण बीज की डिमाण्ड कुछ देर से भेजी गई इस कारण बीज सभी केन्द्रों में विलंब से पहुंच रहा है। धान, मक्का, सोयाबीन आदि का बीज अब पहुंच रहा है। सामुदायिक नर्सरी के लिए भण्डारण और वितरण शुरू किया जा रहा है, जबकि यह कार्य 15 दिन पूर्व ही हो जाना चाहिए था। नर्सरी की तैयारी समुचित रूप से नही होने के कारण धान की श्री पद्धति और अरहर की धारवाड़ पद्धति के प्रभावित होने की आशंका निर्मित होने लगी है। किसानों के अनुसार अच्छी फसल लेनेे के लिए धान की श्री पद्धति तथा रोपा विधि उत्तम मानी जाती है और इनमें नर्सरी की बहुत आवश्यकता होती है। श्री पद्धति की खेती में पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
बीज लेने आएंगे 50-50 किमी
प्रति वर्ष किसानों को सुविधा से बीज उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी अपने केन्द्रों में बीज उठवाकर रख लेते थे और उनके केन्द्र में जितनें गांव होते थे, सबकेे किसानेां को वे वहीं से बीज वितरण कराते थे। इससे किसानेां को सहूलियत होती थी। इस वर्ष हड़ताल के कारण ग्रामीण केन्द्रो में बीज नहीं ले जाया गया है, अभी भी वहीं स्थिति बनी हुई है। इसलिए किसानों को बीज लेने मजबूरन दूर दराज 50-50 किलोमीटर की दौड़ लगाकर ब्लाक मुख्यालयों में आकर बीज लेना पड़ेगा।
Created On :   19 Jun 2018 1:14 PM IST