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शासन की गाइड लाइन को दरकिनार कर, निर्धारित मूल्य से अधिक पर बिक रही दवाईयां
डिजिटल डेस्क, कटनी। जीवन रक्षक दवाओं सहित रोजमर्रा में इस्तेमाल हो रहीं नामी कंपनियों की दवाएं सरकारी गाइड लाइन को दरकिनार कर निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर बेची जा रहीं हैं। लेकिन नागरिकों को इस संंबंध में नियम एवं प्रक्रिया की स्पष्ट जानकारी न होने की वजह से शिकायतें संबंधित विभाग तक नहीं पहुंच पा रहीं। जिसका सीधा फायदा मेडिकल स्टोर्स संचालक तथा दवा कंपनियां उठा रही हैं।
450 से अधिक दवाएं सूचीबद्ध
केंद्र शासन द्वारा कैंसर सहित अन्य कई गंभीर बीमारियां एवं रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को सुलभ बनाने के लिए इनके मूल्य निर्धारित किए थे। जिससे महंगी दवाओं के कारण मरीज की जान खतरे में न जा सके। लेकिन कई नामी दवा कंपनियां केंद्र शासन के निर्देशों की खुली अवहेलना कर तय कीमतों से अधिक दाम पर दवाएं बाजार में बेच रही हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र शासन द्वारा गत वर्ष जहां 300 दवाओं को सूचीबद्ध किया गया था वहीं वर्तमान में 450 से अधिक दवाओं का मूल्य केंद्र शासन द्वारा निर्धारित किया गया है।
एप का इस्तेमाल कर चैक कर सकते हैं कीमत
केंद्र शासन द्वारा दवाओं की मनमानी कीमतों पर नियंत्रण लगाने के लिए एक अलग अथॉरिटी बनाई गई है। जो डीपीसीओ एक्ट के तहत संबंधित मेडिकल एजेंसी, मेडिकल स्टोर्स तथा दवा कंपनी पर कार्रवाई करने सक्षम हैं। नेशनल फार्मास्टिकल प्राइज अथॉरिटी दिल्ली द्वारा दवा की सही कीमत जानने के लिए एक मोबाइल एप लांच किया गया है। जिसे फार्मा सही दाम नाम दिया गया है। एनपीपीए के इस मोबाइल एप का इस्तेमाल कर आम जनता कहीं से ही अपने मोबाइल के माध्यम से संबंधित दवाओं की शासन द्वारा निर्धारित कीमत जान सकती है। इतना ही नहीं उक्त दवा यदि निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर बेची जा रही है तो एप के माध्यम से सीधे शिकायत भी की जा सकती है। इसके अलावा एप के माध्यम से दवा की कीमत की जानकारी होने पर यदि दवा के दाम में अंतर पाया जाता है तो जनता जिले के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को भी शिकायत कर सकती है। जिसकी संपूर्ण रिपोर्ट तैयार कर ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा एनपीपीए को भेजी जाएगी। जिसके बाद संबंधित के खिलाफ डीपीसीओ एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अभाव में सामने नहीं आई एक भी शिकायत
ड्रग कंट्रोलिंग डिपार्टमेंट को सरकारी गाइड लाइन से अधिक कीमत पर बेची जा रही दवाओं पर कार्रवाई को लेकर कोई सीधा अधिकार नहीं है। जिसकी वजह से ड्रग इंस्पेक्टर तथा कंट्रोलर बिना शिकायत के इसकी जांच नहीं कर पा रहे। वहीं दूसरी ओर जनता को दवा कीमतों को लेकर केंद्र शासन के निर्देश, सूचीबद्ध दवाओं की जानकारी तथा शिकायत को लेकर नियम व प्रक्रिया की जानकारी न होने की वजह से शिकायतें ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के पास नहीं पहुंच पा रही।
जीएसटी का हौव्वा कर रहे अवैध वसूली
कई मेडिकल स्टोर्स द्वारा जागरूकता के अभाव के चलते आम जनता से दवा की मनमानी कीमतें वसूली जा रही हैं। दवाओं पर जीएसटी के अलग-अलग स्लैब लागू होने के बावजूद मेडिकल स्टोर्स मनमाना जीएसटी लगाकर ग्राहकों को दवाएं बेच रही हैं। जीएसटी के संबंध में जानकारी न होने के कारण ग्राहक भी मनमानी कीमत अदा करने मजबूर हैं।
Created On :   19 Nov 2017 11:56 AM IST