कुटुंब न्यायालय में नहीं है जज, कैसे रूकेगा परिवारों का बिखराव ?

Memorandum handed over for recruitment of judges in family courts
कुटुंब न्यायालय में नहीं है जज, कैसे रूकेगा परिवारों का बिखराव ?
कुटुंब न्यायालय में नहीं है जज, कैसे रूकेगा परिवारों का बिखराव ?

डिजिटल डेस्क,उमरिया। उच्च न्यायालय ने जिले में तीन साल पहले कुटुंब न्यायालय की पदस्थापना की थी। शुरूआत में ही महज 15 दिन न्यायालय चली। फिर न्यायधीश के अभाव में कागजी कार्रवाई तो हुई, लेकिन प्रकरणों को सुनने वाला कोई नहीं रहा। बिना न्यायधीश न्यायालय का औचित्य समाप्त हो गया है। इसलिए मुख्य न्याधिपति उच्च न्यायालय जबलपुर को ज्ञापन सौंप कर नियमित प्रधान न्यायधीश में पद भरे जाने अधिवक्ता संघ ने मांग की है। 

ज्ञापन में मांग की गई है कि जिले की कुटुंब न्यायालय में 6 महीने से ज्यादा न्यायधीश नहीं रहे। पारिवारिक मामले में न्यायधीश के अभाव में प्रकरण लंबी अवधि तक न्याय की आस में चलते रहते हैं। पति-पत्नी के बीच विवाद का बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। अधिवक्ता संघ ने मांग की है कि कुटुंब न्यायालय का प्रधान/अपर न्यायाधीश की नियुक्ति को अन्यथा दण्ड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 9 में दी गई धाराओं का विचारण पूर्व की भांति न्यायिक मजिस्ट्रेट व वैवाहिक व अन्य मामले जिला/अतिरिक्त न्यायाधीशों को विचारण की अनुज्ञा दी जाए। ज्ञापन में में कहा गया है कि शीघ्र विचार न होने पर अधिवक्ता अदालत का बहिष्कार कर आंदोलन करेंगे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के माध्यम से सोमवार को यह ज्ञापन चीफ जस्टिस हाईकोर्ट को दिया गया। इस दौरान जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष पुष्पराज सिंह, राजाराम हिरवानी, आशीष पाण्डेय, राजेन्द्र सिंह, दिनेश त्रिपाठी, अशोक तिवारी, प्रकाशचन्द्र, रविशंकर, दिनकर तिवारी, नरेन्द्र गिरी, रिजमान अहमद, बैजंती माला सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद रहे।
 

Created On :   22 Aug 2017 1:27 PM IST

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