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जिले में 30 हजार से ज्यादा वाहन, अमले में आरटीओ और सिर्फ एक लिपिक
डिजिटल डेस्क उमरिया । जिले में संचालित शासन का परिवहन विभाग आज भी सुविधाओं और संसाधनों के बिना समस्याओं से जूझ रहा है। सबसे ज्यादा समस्या स्टाफ की कमी के कारण उत्पन्न हो रही है। 1 लाख 60 हजार घरों वाले इस जिले में लगभग 30 हजार वाहन हैं। सर्वाधिक बाइक हैं, हर पांचवे घर में एक वाहन है। लेकिन कार्यालय में अमले के नाम पर केवल परिवहन अधिकारी और एक लिपिक कार्यरत हैं। शेष पद रिक्त हैं। कार्य की अधिकता और कर्मचारियों की कमी के कारण वाहन मालिक भटकते रहते हैं। उनका समय से काम नहीं हो पाता है। इसके अलावा वाहनों की नियमित जांच पड़ताल में भी विलंब होता है। सड़कों पर मनमाने ढंग से वाहन चलाए जाते हैं। वाहन मालिक जर्जर वाहनों मे ओव्हर लोड सवारियां ले जाते हैं। जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। जबकि समय-समय पर वाहनों की फिटनेस, परमिट, लायसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि की जांच की जानी और वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई आवश्यक मानी जाती है। विशेष रूप से स्कूल वाहनों की आकस्मिक जांच अनिवार्य रहती है।
अमले की स्थिति
आरटीओ आफिस के लिए शासन द्वारा परिवहन अधिकारी, पांच लिपिक, सड़कों पर आकस्मिक वाहन जांच के लिए एक निरीक्षक व चार सहायकों का उडऩदस्ता, वाहनों की फिटनेस जांच के लिए दो टेक्रिकल इंसपेक्टर आदि का स्टाफ स्वीकृत है। लेकिन वर्षों से यहां केवल एक अधिकारी व लिपिक कार्यरत है। शेष पद रिक्त पड़े हैं। अमले के अभाव में कार्यालय में कामकाज का बोझ बहुत है। जिससे लोगों के न तो कार्यालयीन कार्य समय से होते हैं और न जांच पड़ताल सुचारू रूप से हो पाती है। अधिकारी को दौरे अथवा मीटिंगों में भी उपस्थित होना पड़ता है।
गलत पते से लौटे ढाई सौ लिफाफे
वर्तमान में नियमत: लोगों के वाहन लायसेंस, रजिस्ट्रेशन कार्ड आदि की कार्रवाई पूर्ण होने के बाद उन्हे लिफाफे में हितग्राही तक पोस्ट से भेजना पड़ता है। आवेदन के साथ हितग्राही अपना स्वयं का पता लिखा खाली लिफाफा जमा करता है। इसके लिए लिपिक लिफाफे में लिखा नाम पता रजिस्टर में दर्ज करता है। जब पोस्ट आफिस की रसीद उसे प्राप्त होती है तो उसे भी दर्ज करना पड़ता है। लेकिन कई लोग अपना नाम पता गलत डाल देते हैं जिससे समस्याएं बढ़ जातीं हैं। जब उसमें कार्ड भेजे जाते हैं तो उसमें पता गलत होने के कारण लिफाफा लौट कर पहले पोस्ट आफिस फिर आरटीओ कार्यालय पहुंच जाता है। अभी जनवरी माह में ही ऐसे करीब ढाई सौ लिफाफे लौट चुके हैं। लोग अपना सही पता भी नहीं लिखते। विभाग ऐसे लोगों की तलाश कर रहा है। यह अलग से कार्यभार है।
आवेदनों में होता है विलंब
वाहन मालिकों व चालकों द्वारा समय-समय पर ड्रायविंग लायसेंस, वाहन फिटनेस, परमिट, रजस्ट्रेशन आदि के लिए आवेदन दिए जाते हैं। लेकिन लिपिकों की कमी के कारण उन आवेदनों पर समय से कार्रवाई नही हो पाती है और आवेदन देकर लोग कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं। संबंधित लिपिक यह भी नहीं बता पाता है कि उनके आवेदन पर कार्रवाई कब तक हो पाएगी। लार्निंग लायसेंस टेस्ट व सत्यापन में भी इसी तरह विलंब होता है।
Created On :   31 Jan 2018 1:48 PM IST