मिलर्स के आगे नान ने घुटने टेके - गोदामों में रखी 95 हजार मीट्रिक धान, अब तक केवल आठ हजार टन की मिलिंग

Nan knelt before the millers - 95 thousand metric paddy in warehouses, milling only eight thousand tons
मिलर्स के आगे नान ने घुटने टेके - गोदामों में रखी 95 हजार मीट्रिक धान, अब तक केवल आठ हजार टन की मिलिंग
मिलर्स के आगे नान ने घुटने टेके - गोदामों में रखी 95 हजार मीट्रिक धान, अब तक केवल आठ हजार टन की मिलिंग

डिजिटल डेस्क  कटनी । कलेक्टर की फटकार के बाद भी नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी मिलर्स से धान की कस्टम मिलिंग कराने में फेल साबित हो रहे हैं। एक तरह से नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने मिलर्स के आगे घुटने टेक दिए है। ऐन उपचुनाव के समय घटिया चावल का मुद्दा पूरे प्रदेश में चर्चित रहा। इसलिए शासन ने धान की कस्टम मिलिंग के लिए शार्टेक्स मशीन का उपयोग अनिवार्य कर दिया है ताकि अच्छी क्वालिटी का चावल मिले और फिर दोबारा ऐसी बदनामी का सामना नहीं करना पड़े। सरकार के फरमान को लागू कराने में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों को पसीना आ रहा है। अब तक मिलर्स के लिए कवच बने अधिकारियों को ही शासन के नियमों का पालन कराना है। अधिकारियों पर मिलर्स के भारी पडऩे का ही परिणाम है कि कलेक्टर के निर्देश के तीन दिन बाद तक मात्र आठ हजार मीट्रिक टन धान की मिलिंग हो पाई है। जबकि ओपन कैप में 40 हजार मीट्रिक टन एवं गोदामों में 55 हजार मीट्रिक टन धान मिलिंग के लिए धान रखी है।
मिलर्स के पास मशीन ही नहीं
शासन ने अच्छी क्वालिटी के चावल के लिए शार्टेक्स मशीन का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। जिसमें डिस्कलर एवं ब्रोकन चावल अलग-अलग हो जाता है लेकिन जिले में कई मिलर्स के पास यह मशीन ही नहीं है। जिन मिलर्स के पास यह मशीन है भी तो मिलिंग की स्पीड इतनी धीमी है कि लक्ष्य के अनुसार धान की मिलिंग ही नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी स्वयं को असहाय पा रहे हैं। बताया जाता है कि प्रदेश के अन्य जिलों में चावल भेजने जल्द ही रैक लगना है, इसलिए नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों को अब बचाव का रास्ता नहीं सूझ रहा है।
कस्टम मिलिंग को  किया अनिवार्य
खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग के संबंध में मध्यप्रदेश चावल अधिप्राप्ति (उदग्रहण) के अंतर्गत जारी आदेश के अनुसार राईस मिलर्स को कस्टम मिलिंग किया जाना अनिवार्य है। निर्धारित समय में संबंधित मिलर्स कस्टम मिलिंग पूर्ण करने में असफल रहने पर अन्य किसी प्रकार की मिलिंग का कार्य नहीं कर सकेगा, जब तक कि कस्टम मिलिंग पूर्ण नहीं कर लेता।
यह थे कलेक्टर के निर्देश
बीते दिनों धान मिलिंग की समीक्षा करते हुए कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने जिला प्रबंधक मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन को निर्देश दिए कि जिले में राईस मिलिंग की क्षमता अनुसार एक माह में कस्टम मिलिंग का कार्य पूर्ण किया जाये।  गोदाम एवं कैप में संग्रहित धान उपार्जित धान को 60:40 के अनुपात में मिलिंग के लिये प्रदाय किया जायेगा। राईस मिलर्स से जमानत के रुप में जमा की जाने वाली राशि 20 प्रतिशत एफडीआर एवं शेष 80 प्रतिशत चैक के माध्यम से जमा कराई जायेगी। राईस मिलर्स के कॉर्पोरेशन पर शेष देयदाताओं के विरुद्ध एफीडेविट प्राप्त कर 5 लॉट तक धान प्रदाय की जा सकती है।
 भारी न पड़ जाए यह  लापरवाही
नागरिक आपूर्ति निगम के असफरों की लापरवाही धान उपार्जन में भारी पड़ सकती है। इस साल समर्थन मूल्य पर तीन लाख, 25 हजार मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य मिला है। जबकि धान रखने अभी वेयर हाउसिंग लाजिस्टिक कार्पोरेशन के पास गोदामों और ओपन कैप में मात्र एक लाख, 11 एमटी की जगह ही खाली है। हालांकि मनरेगा से विजयराघवगढ़, उमरियापान एवं ढीमरखेड़ा में 50 हजार मीट्रिक टन के ओपन कैप एवं 40 हजार मीट्रिक टन के गोदामों का निर्माण चल रहा है लेकिन इनके नवम्बर के बाद ही तैयार होने की उम्मीद है। 15 नवम्बर से धान की खरीदी शुरू हो जाएगी। नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही से धान उपार्जन से जुड़े अधिकारी भी सशंकित है। वेयर हाउसिंग लाजिस्टिक कार्पोरेशन के जिला प्रबंधक डी.के.हवलदार के अनुसार 65 हजार मीट्रिक टन का शार्टफाल है,  नए गोदाम एवं ओपन कैप तैयार होने सेभंडारण की समस्या नहीं रहेगी। धान की मिलिंग होने से ओपन कैप एवं गोदामों में भी स्पेस निकल आएगा।
 

Created On :   31 Oct 2020 6:08 PM IST

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