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ह्यूमन राइट्स फोरम सम्मेलन में भारत को रिप्रेजेंट करेंगी कटनी की निर्मला

डिजिटल डेस्क कटनी। विश्व स्तरीय यूनाइटेड नेशन्स फोरम एवं बिजनेस तथा ह्यूमन राइट्स फोरम द्वारा 27 नवंबर से 29 नवंबर तक स्वीटरजलैंड के जिनेवा शहर में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसमें औद्योगिक नगरी कैमोर से सेवा निवृत्त शिक्षिका निर्मला गुरूंग भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह संस्था विश्व स्तर पर मानव अधिकारों के लिए काम करती है। संस्था उद्योगों से खतरनाक अपशिष्ट के कारण पर्यावरण असंतुलन से मानव जीवन पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों से मानव अधिकारों के लिए विश्व स्तर पर कार्य करती है। निर्मला 26 नवंबर को दिल्ली से स्वीटजरलैंड के लिए रवाना होंगी। जिले सहित समूचे देश में हजारों की संख्या में लगे उद्योगों से निकलने वाले खतरनाक अपशिष्ट से मानव समाज पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभाव सहित उद्योगों के कारण कैंसर और अस्थमा से जूझ रहे श्रमिकों का पक्ष रखेंगी।
1934 में स्थापित हुई थी कंपनी
जानकारी के अनुसार कैमोर में 1934 में एस्बस्टास कंपनी की स्थापना की गई थी। इस उद्योग द्वारा सीट बनाने का कारोबार किया जा रहा है। इस कारोबार में विदेशों से शिलिका आयात किया गया। इससे निकलने वाले अपशिष्ट में हवा-पानी में मिश्रित होकर मानव जीवन पर खतरनाक कैंसर एवं फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित किया। इसमें सैकड़ों की संख्या में कैमोर, बरापार, कलहरा, गुडग़ुड़ौहा, सहित आसपास इसके दुष्परिणाम की शिकायत सामने आई। श्रमिकों की समस्या निवारण के लिए पूर्व वर्षों में श्रमिक संस्था के सदस्यों रवि दुबे, श्याम बिहारी, निर्मला गुरुंग, भीम गुरुंग आदि ने विश्व स्तरीय संस्था को शिकायत की।
पहुंची थी वैज्ञानिकों की टीम
जिसके बाद बिस्तर से वैज्ञानिकों ने आस-पास के क्षेत्रों का गहन सर्वे कर अपनी रिपोर्ट विश्वस्तरीय ह्यूम राइट्स संस्था को सौंपी थी। जिसके बाद एस्बेस्टास कंपनी में काम करने वाले श्रमिकों एवं सेवानिवृत्त सैनिकों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए पांच से 15 लाख रुपए प्रति व्यक्ति राशि दिलाई गई। सर्वे में वैज्ञानिकों ने पाया कि शिलिका का दुष्परिणाम भीषण खतरनाक साबित हो रहा है। इससे मानव जीवन की कई पीढिय़ां खतरनाक बीमारियों की चपेट में जाएंगी। कनाडा से वैज्ञानिकों के एक दल ने कैमोर और कलहरा तथा आसपास के क्षेत्र में फायबर रेश का भी सर्वे किया। दल ने मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण के नमूने एकत्रित किए थे। जल मिट्टी के नमूने अमेरिका की विश्व में मान्य परीक्षण संस्था को भेजे गए थे। जांच में अपशिष्टों की उपस्थिति खतरनाक मात्रा में पाई गई।
शूट हुई है फिल्म
लगभग छ: माह पूर्व बेल्जियम के भी एक फीचर फिल्म बनाने के लिए संस्था को एवरेस्ट मजदूर यूनियन के द्वारा आमंत्रित किया गया था। उन्होंने स्टेटस को प्रभावित लोगों के डंपिंग कार्ड की फीचर फिल्म ही बनाई गई थी सभी का प्रदर्शन भी फोरम में किया जाएगा। गुरुंग इन उद्योगों के दुष्परिणामों से लोगों को बचाने के लिए अपना पक्ष रखेंगी।
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Created On :   25 Nov 2017 1:22 PM IST