पीओपी से बनी प्रतिमाओं के खिलाफ नहीं चला अभियान, कोर्ट के आदेश की अनदेखी

No campaign against statues made from POP, ignoring court order
पीओपी से बनी प्रतिमाओं के खिलाफ नहीं चला अभियान, कोर्ट के आदेश की अनदेखी
पीओपी से बनी प्रतिमाओं के खिलाफ नहीं चला अभियान, कोर्ट के आदेश की अनदेखी

डिजिटल डेस्क, उमरिया। एक दिन बाद जिलेभर में गणेश चतुर्थी व्रत-पूजन आरंभ हो रहा है। सैकड़ों की तादाद में घर-घर प्रतिमा स्थापित होंगी। लेकिन जिले से लगे कस्बों में और आसपास के क्षेत्रों में खुले आम पीओपी से बनी प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। जिससे होने वाले पर्यावरण नुकसान को रोकने के लिए अभी तक जिम्मेदार प्रशासनिक महकमे ने कोई अभियान नहीं चलाया है और न ही मूर्तिकारों मेें जागरुकता लाने कार्यशाला हुई।

गौरतलब है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कोर्ट ने साफ तौर पर प्रतिमा निर्माण में प्लास्टर आफ पेरिस पर प्रतिबंध लगा दिया है। पर्यावरण में सिंथेटिक कलर, कैमिकल और  पीओपी के नुकसान को देखते हुए, केवल मिट्टी की प्रतिमा उपयोग के निर्देश हैं। जिससे कि प्रदूषण से बचा जा सके।

मानव और जीवों के लिए घातक है कैमिकल

पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो कोई सिंथेटिक मटेरियल, कपडा, प्लास्टिक, फूल, केमिकल, रंग पानी में अघुलनशील होता है। इस कारण से मूर्तियां नदी और पानी में विसर्जन पर ये घुलती नहीं। ऐसी स्थिति में जलीय जीवों के लिए घुली हुई ऑक्सीजन घटने लगती है। इसके अलावा घातक केमिकल से मानव शरीर को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है। मूर्ति विसर्जन के 24 घंटे के अन्दर विसर्जित मूर्ति से उत्पन्न ठोस अपशिष्ट के रूप में बांस, रस्सी, बल्ली, मिट्टी, पी.ओ.पी, प्रतिमा के हिस्से इत्यादि को नगरीय ठोस अपशिष्ट नियम 2000 के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में लोकल अथॉरिटी द्वारा एकत्रित किया जाना होता है। इसलिए मूर्ति विसर्जन के पूर्व पूजन सामग्री और पेपर व प्लास्टिक से बना साज-सज्जा का सामान इत्यादि पृथक कर विसर्जित करें। किसी भी प्राकृतिक जल स्त्रोतों जैसे नदियों, झीलों, तालाबों में प्रतिमा विसर्जन सीधे न करके स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थान पर ही किया जाये।

निर्देश तक सीमित जिम्मेदार

जानकारों की मानें तो शहरों में जागरुकता से लेकर ऐसी अमानक प्रतिमा के उपयाोग को रोकने के लिए नगरीय निकाय के पास पर्याप्त अधिकार हैं। इसके अलावा पर्यावरण प्रदूषण विभाग को भी अपनी तरफ से सक्रियता दिखानी चाहिए। इसके बावजूद दोनों प्रशासनिक महकमे द्वारा महज कागजी कार्रवाई की गई। हालांकि इस संबंध में कलेक्टर और जिलादण्डाधिकारी माल सिंह द्वारा लोगों से  एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मार्गदर्शिका के अनुसार पर्व मनाने का आव्हृान किया है। कलेक्टर ने निर्देशित किया है कि मूर्ति के निर्माण में पीओपी का इस्तेमाल न करें। यदि किसी भी नदी, जल स्त्रोत में मूर्ति विसर्जन हुआ तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।

Created On :   24 Aug 2017 2:11 PM GMT

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