काम के बाद भी समय पर मजदूरी की नहीं गारंटी - मनरेगा से रिश्ता तोड़ते हुए महानगरों की ओर पलायन कर रहे मजदूर

No guarantee of timely wages even after work - workers migrating from MNREGA
काम के बाद भी समय पर मजदूरी की नहीं गारंटी - मनरेगा से रिश्ता तोड़ते हुए महानगरों की ओर पलायन कर रहे मजदूर
काम के बाद भी समय पर मजदूरी की नहीं गारंटी - मनरेगा से रिश्ता तोड़ते हुए महानगरों की ओर पलायन कर रहे मजदूर

 डिजिटल डेस्क कटनी । उज्जैन के समीप हादसे में पांच मजदूरों की मौत ने पलायन की उस तस्वीर को सामने ला दिया। जिस हकीकत पर अफसर और जनप्रतिनिधि परदा डालते हुए जिले में भरपूर काम होने का वादा कर रहे थे। दरअसल मनरेगा में तो काम मिल रहा है, लेकिन मजदूरी की समय पर गारंटी और निर्धारित दर से कम राशि होने पर
कुशल कामगारों का मोह इस तरफ से भंग हो रहा है। लॉकडाउन के दौरान मजदूर भूखे रहते हुए पैदल चलकर अपने गांव पहुंचे थे। गांव पहुंचने पर इन्होंने संकल्प लिया था कि दोबारा वे परदेश नहीं जाएंगे। इसके बावजूद कुशल कामगारों को काम नहीं मिला। एक मजदूर के खाते में औसत राशि भी इतनी कम आई कि इससे बेहतर मजदूर महानगरों की ओर पलायन करने लगे। इस हकीकत की कहानी महात्मागांधी राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण का पोर्टल ही बंया कर रहा है।
पोर्टल के अनुसार जिले में 1 लाख 54 हजार जॉब कार्ड धारी में 3 लाख 63 हजार मजदूर पंजीकृत है। इसमें भी एक्टिव जाबकार्डों की संख्या 1 लाख 31 हजार है। जिसमें मजदूरों की संख्या महज 2 लाख पांच हजार ही है। सबसे अधिक परेशानी मजदूरी की राशि को लेकर है। मनरेगा के तहत एक मजदूर को एक दिन में 190 रुपए देने का जो वादा सरकार ने किया है। इसमें भी वर्क आधारित काम पर एक मजदूर के हिस्से मेें 177 रुपए की प्रतिदिन के हिसाब से राशि आई।
सेतू पोर्टल से भी   नहीं मिली राहत
प्रवासी श्रमिकों के लिए श्रम विभाग द्वारा जो रोजगार सेतू पोर्टल बनाया गया था। वह पोर्टल भी प्रवासियों को काम नहीं दे सका। 16667 कुल प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में गांवों में लौटे। इसके बावजूद 3000 प्रवासियों को ही काम मिला। यह स्थिति जिले की तब है, जब व्यावसायिक गतिविधि के मामले में कटनी की स्थिति प्रदेश के महानगरों की तरह है। 602 नियोक्ताओं ने काम देने का वादा करते हुए पंजीयन कराया था। इसमें वृहद उद्योगों की संख्या 7, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की संख्या 62, ठेकेदारों की संख्या 99, बिल्डर्स की संख्या 9, प्लेसमेंट एजेंसीस 24, अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की संख्या 19 है। इसके बावजूद एक नियोक्ता औसतन महज पांच लोगों को ही रोजगार दे सका।
9 हजार में से 8 हजार मजदूरों को दिया काम
लॉकडाउन के दौरान जिले में करीब तीस हजार लोग बाहर से लौटे। जिसमें मनरेगा कार्डधारियों की संख्या 8925 रही। इसमें 8013 लोगों को काम मिला। भुगतान भी पंद्रह दिन के अंदर 93 प्रतिशत मजदूरों को कर दिया गया। 2263 लोगों ने काम की मांग की तो 2242 मजदूरों को जाबकार्ड जारी करते हुए अधिकांश लोगों को काम भी दिया गया। इसके बावजूद  मजदूरों का मोहभंग हो रहा है।
इनका कहना है
 मनरेगा में चालू वित्तीय वर्ष में प्रवासी मजदूरों को भरपूर काम दिया गया है। समय पर 95 प्रतिशत मजदूरों को भी भुगतान किया गया है। पलायन को लेकर प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है।
 -जगदीश चंद्र गोमे, सीईओ जिला पंचायत कटनी
 

Created On :   30 Sept 2020 5:46 PM IST

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