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साल के व्यापार के लिए अदिवासियों को वन विभाग से नहीं लेना होगी अनुमति
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्य प्रदेश में साल बीज जिसे अंग्रेजी में शोरिया रोबुस्टा कहा जाता है, अब वनोपज नहीं रही तथा इसके परिवहन एवं व्यापार हेतु अदिवासियों को वन विभाग से अनुमति नहीं लेना होगी।
गौरतलब है कि 49 साल पहले राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की अनुमति से मप्र वन उपज व्यापार विनियमन अधिनियम 1969 राज्य में प्रभावशील किया था। यह कानून वनोपजों को अधिसूचित कर उसके व्यापार में राज्य सरकार का एकाधिकार बनाने एवं परिवहन को नियंत्रित करना था। साल बीज को सर्वप्रथम 1 सितम्बर 1970 को सीधी, शहडोल, होशंगाबाद, बैतूल जिलों में, 14 सितम्बर 1972 को सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर व टीकमगढ़ जिलों में, 1 जुलाई 1973 को रायसेन, भोपाल, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, विदिशा, सिवनी तथा छिन्छवाड़ा जिलों में तथा 9 दिसम्बर 1975 को बालाघाट, मंडला और जबलपुर जिलों में कानून के तहत अधिसूचित वनोपज घोषित किया गया था।
साल बीज का उपयोग उसका तेल निकालकर विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। पड़ोसी छत्तीसगढ़ राज्य में इसकी खरीदी भी होती है। मप्र सरकार ने तीन साल पहले 25 अक्टूबर 2016 को एक आदेश जारी कर इसे अधिसूचित वनोपज की सूची से बाहर कर दिया था, लेकिन यह कार्रवाई नियमानुसार नहीं थी क्योंकि इसे कानून के तहत ही डिनोटिफाई किया जा सकता था। इसीलिए अब राज्य सरकार ने कानून की धारा 22 का उपयोग कर इसे डिनोटिफाई किया है।
बीके मिश्रा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कक्ष संरक्षण मप्र का कहना है कि साल बीज पहले अधिसूचित वनोपज थी जिसे अब विधिवत डिनोटिफाई किया गया है। अब इसका व्यापार मुक्त रहेगा तथा वन विभाग से इसके लिये कोई अनुमति नहीं लेना होगी।
Created On :   6 March 2018 12:23 PM IST