कोई किसी का भाग्य और कुंडली नहीं बदल सकता - आचार्य विद्यासागर महाराज

No one can change anyones fate and horoscope - Acharya Vidyasagar Maharaj
कोई किसी का भाग्य और कुंडली नहीं बदल सकता - आचार्य विद्यासागर महाराज
वाशिम कोई किसी का भाग्य और कुंडली नहीं बदल सकता - आचार्य विद्यासागर महाराज

डिजिटल  डेस्क, वाशिम. पुराने समय में घर के वास्तू का निर्माण करते समय उसमें बड़े पैमाने पर पत्थर, चुना व पासान का मुख्य प्रमाण में उपयोग किया जाता था । इस कारण उस वास्तू में हमेशा चेतना, सुख-शांति और स्वास्थ बसता था । लेकिन आज घराें का निर्माणकार्य करते समय बड़े पैमाने पर लोहा, सिमेंट व स्टील का उपयोग किए जाने से बड़े पैमाने पर युवा व अन्यों के स्वास्थ पर इसका परिणाम होता दिखाई दे रहा है । कोई भी किसी का भाग्य और कुंडली नहीं बदल सकता, ऐसा प्रतिपादन संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने किया । जिले की मालेगांव तहसील के शिरपुर स्थित निकलंक निकेतन में शुक्रवार 16 दिसम्बर को आंतरराष्ट्रीय वास्तू विशारद हर्षद शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता निलेश सोमानी, राजस्थान शिक्षा मंडल के सचिव सुधीर राठी, सौ. मधुलिका राठी, आनंद गडेकर ने भेंट देकर श्रीफल अर्पित कर आशिर्वाद लिया । इस अवसर पर वास्तु व कुंडली विषय पर आचार्य श्री ने मार्गदर्शन करते हुए आगे कहा की वास्तू व ज्योतिष प्राचीनशास्त्र है और यह दोनों बातें एक-दूसरे से सम्बंधित से । आज उद्योजक, नेता, व्यापारी वास्तू के अनुसार ही घर और दुकानों का निर्माणकार्य करते है । यह बात ठीक है लेकिन इन बातों का शिकार न होने की बात भी उन्होंने कही । इन सभी को उचित मार्गदर्शन की आज सही आवश्यकता है । वास्तू का निर्माण करते समय उसमें चुना, मिट्टी और पाषाण का उपयोग करने के लिए कहना ज़रुरी है । यह हमारी सच्ची संस्कृति और परम्परा है, जिसका जतन करने पर घर में सुख, शांति, समृद्धी के साथही प्रत्येक का स्वास्थ सुदृढ रह सकता है । सिमेंट, लोहे का उपयोग निर्माणकार्य में करना बेहद गलत है, लेकिन अब इन दोनों चिज़ों के सिवा वास्तू का निर्माणकार्य नहीं होता । साथही इसमें 8 से 10 फीट उंचा निर्माणकार्य किया । पूर्व में यह फसला काफी कम होता था । जब से आधुनिक आरसीसी निर्माणकार्य पद्धति का उपयोग हो रहा है, तभी से अनेक समस्या निर्माण हुई है और यह निर्माणकार्य पद्धत अनुकूल नहीं । आज वास्तुक्षेत्र में लोगों को व्यवसायिक दृष्टिकोन से उचित मार्गदर्शन नहीं किया तामा और अनेक लोग गलत सलाह देते है । लेकिन व्यावसायिकता को एक ओर रखकर नेता, उद्योजक, राजनीतिज्ञों और सभी को उचित मार्गदर्शन करने का आव्हान भी आचार्य श्री ने वास्तु विशारद हर्षद शर्मा से चर्चा करते हुए किया । कुंडली को लेकर भी उन्होंने विशेष जानकारी दी । कुछ स्थानों पर इसमें दिश को महत्व दिया जाता है लेकिन मै दिशा को नहीं मानता । कुछ लोग पूर्व की ओर बैठकर काम करने की सलाह देते है मात्र हम उत्तर अथवा दक्षिण दिशा की ओर बैठने पर भी उसे पूर्व दिशा मानकर कार्य करते है, ऐसा आचार्य श्री ने स्पष्ट किया । शिरपुर में बनाए जा रहे नए मंदिर और अन्य स्थानों पर लोहे और सिमेंट का उपयोग नही किए जाने की जानकारी भी उन्होंने दी । इसमें पाषाण का उपयोग कर निर्माणकार्य किया जाएंगा । वास्तु और कुंडली को लेकर उचित मार्गदर्शन समाज में करने की बात भी आचार्य श्री ने कही । सामाजिक कार्यकर्ता निलेश सोमानी ने सभी का परिचय दिया । इस अवसर पर एलक सिद्धांत सागरजी महाराज से भेंट कर सभी ने आशिर्वाद लिया । आचार्य श्री के कक्ष में बाल ब्रह्मचारी तात्या भैया भी उपस्थित थे ।

Created On :   18 Dec 2022 1:27 PM GMT

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