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अब सहकारी समितियों के प्रशासक गैर सरकारी लोग भी बन सकेंगे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। अब प्रदेश की सहकारी समितियों के प्रशासक गैर सरकारी व्यक्ति भी बन सकेंगे। इस संबंध में राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने 57 साल पुराने मप्र सहकारी सोयायटी अधिनियम 1960 में संशोधन संबंधी अध्यादेश जारी कर दिया है। पहले अधिनियम में प्रावधान था कि प्रथम और द्वितीय श्रेणी के शासकीय अधिकारी ही सहकारी समितियों के चुनाव न होने की स्थिति में प्रशासक नियुक्त हो सकेंगे।
इन शासकीय अधिकारियों में जिला कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर और डिप्टी रजिस्ट्रार सहकारी संस्थायें शामिल थे। परन्तु अब अध्यादेश के जरिये प्रावधान कर दिया गया है कि उक्त शासकीय अधिकारियों के अलावा वह अशासकीय व्यक्ति भी प्रशासक नियुक्त किया जा सकेगा जोकि उस सोसयाटी के संचालक मंडल में सदस्य चुने जाने के लिये पात्र होगा अर्थात अब संबंधित सहकारी सोसायटी के सदस्य भी प्रशासक बन सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में निछले पांच सालों से चौदह जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों जिनमें शामिल हैं - जबलपुर, सिवनी, शहडोल, पन्ना, रीवा, सीधी, छतरपुर, टीकमगढ़, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी,राजगढ़, गुना, तथा देवास - में अब तक चुनाव नहीं हुये हैं। इसी प्रकार शीर्ष सहकारी संस्थायें अपेक्स बैंक, आवास संघ, अपेक्स यूनियन, उपभोक्ता संघ, मत्स्य महासंघ तथा औद्वोगिक सहकारी संघ में भी सालों से चुनाव नहीं हुये हैं। राज्य सरकार इनमें निरन्तर चुनाव टाल रही है तथा अब उसने इनमें अशासकीय व्यक्तियों को प्रशासक बनाने का प्रावधान कर दिया है। ये अशासकीय व्यक्ति राज्य सरकार ही नियुक्त करेगी।
क्या होता है अध्यादेश :
राज्य सरकार अध्यादेश तब जारी करती है जबकि विधानसभा सत्र चालू नहीं होता है या उसे बुलाये जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई हो। अध्यादेश राज्य सरकार द्वारा राज्यपाल के माध्यम से जारी किया जाता है तथा यह एक कानून के रुप में लागू होता है। अध्यादेश सिर्फ छह माह तक ही प्रभावशील रह सकता है तथा छह माह बाद यह स्वमेव समाप्त हो जाता है। अध्यादेश में दिये कानूनी उपबंध छह माह बाद भी लागू रहें इसके लिये राज्य सरकार छह माह के अंदर ही विधानसभा सत्र में इसे विधेयक के रुप में पेश कर देती है तथा इस पर चर्चा के बाद इसे बहुमत के जरिये पारित कराती है और इसे राज्यपाल के पास उसकी मंजूरी के लिये भेजा जाता है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह स्थाई कानून के रुप में मूर्त ले लेता है तथा फिर अध्यादेश खत्म हो जाता है।
Created On :   21 Oct 2017 4:34 PM IST