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अब अमेहटा, खमतरा और कन्हवारा के जंगल धधके
डिजिटल डेस्क कटनी। पिछले तीन दिन से जिले के वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। जंगलों में लगने वाली आग को लेकर लोग वन विभाग की साजिश करार दे रहे हैं। गुरुवार को कैमोर के जंगल में आधी रात तक आग धधकती रही। शुक्रवार को अमेहटा, खमतरा-पौंड़ी एवं कन्हवारा के जंगल जल उठे। बताया जाता है कि अमेहटा में शाम चार बजे से लोगों ने लपटें उठती देखीं। यहां रात आठ बजे तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका था। अमेहटा का जंगल वन्य प्राणी चीतल की मौजूदगी के लिए चर्चित है। यहां बड़ी संख्या में चीतल, बारहसिंहा पाए जाते हैं। यहां आग लगने से वन्य प्राणियों की जीवन खतरे में पड़ गया था। इसी तरह विजयराघवगढ़ के समीप खमतरा-पौंड़ी के जंगल में सुबह से आग धधक रही थी। यहां फायर ब्रिगेड की मदद से आग पर काबू पाया गया। बताया जाता है कि अमेहटा के जंगल में लगी आग बुझाने के प्रयास रात आठ बजे से शुरू नहीं हो पाए थे। वहीं सुबह जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर कन्हवारा का जंगल सुलग उठा। यहां भी ग्रामीणों की मदद से किसी तरह आग पर काबू पाया गया। जबकि कैमोर जंगल की आग रात लगभग 12 बजे किसी तरह बुझ पाई थी। कैमोर पहाड़ की आग बस्ती केनजदीक श्मशान तक पहुंच गई थी और यहां सागौन के प्लांटेशन को चपेट में ले लिया था। पहले तो वन विभाग का अमला डंडा पीटकर आग बुझाने का प्रयास करता रहा जब आग बस्ती की ओर बढऩे लगी तब नगर परिषद की फायर ब्रिगेड की मदद ली गई और पांच घंटे बाद आग बुझ पाई। स्थानीय लोगों के अनुसार वन विभाग के जंगलों में साजिश के तहत आग लगाई जाती है और ठीकरा महुआ-लकड़ी बीनने वालों पर फोड़ दिया जाता है।
Created On :   3 April 2021 7:13 PM IST