गर्भवती महिला को वार्ड से निकाला, अजय सिंह बोले- MP में हो रहे अमानवीय कृत्य

Opposition Leader Ajay Singh wrote letter to the National Human Rights Commission
गर्भवती महिला को वार्ड से निकाला, अजय सिंह बोले- MP में हो रहे अमानवीय कृत्य
गर्भवती महिला को वार्ड से निकाला, अजय सिंह बोले- MP में हो रहे अमानवीय कृत्य

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का आभार माना है कि उन्होंने टीकमगढ़ जिला अस्पताल में गर्भवती महिला को वार्ड से निकालने और उसके बाद प्रसव के दौरान उसकी दो बेटियों की मौत के मामले को संज्ञान में लेकर MP सरकार को नोटिस जारी किया है। गर्भवती महिला को वार्ड से निकालने के मामले पर अजय सिंह ने कहा कि यह अमानवीय कृत्य था और MP में आजकल यही हो रहा है।

अजय सिंह ने कहा कि MP मानव अधिकार आयोग में पूर्णकालिक अध्यक्ष न होने के कारण MP में नागरिकों के मानव अधिकारों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने अध्यक्ष राष्ट्रीय मानव अधिकार को लिखे पत्र में कहा है कि टीकमगढ़ के सरकारी अस्पताल की घटना बताती है कि नागरिकों के साथ तंत्र कितना असंवेदनशील है।

नेता प्रतिपक्ष ने लिखा कि MP में मानव अधिकार आयोग में पिछले दस साल से कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं होने के कारण MP में मानव अधिकारों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। कई गंभीर प्रकार के मानव अधिकारों का उल्लंघन MP में हुआ है, इनमें से कई मामलों में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सीधे संज्ञान में लेना पड़ा है। जैसे- श्योपुर में कुपोषण से 116 बच्चों की मौत, इंदौर में एमवाय अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से 11 मरीजों की मौत, बुंदेलखंड में सूखे का संकट, रतलाम में नर्सिंग छात्राओं को वेश्यावृत्ति में ढकेलने का मामला। इन सभी में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने ही घटना की जानकारी तलब की।

अजय सिंह ने कहा कि MP के नागरिक अपने अधिकारों का संरक्षण न होने से संवैधानिक हक से वंचित हो रहा है। MP में पिछले चार माह में 100 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। 6 जून 2017 को मंदसौर में पुलिस ने आंदोलित किसानों की छाती पर गोली चलाई, जबकि कमर से नीचे गोली मारने का नियम अनिवार्य परिस्थितियों में है। आज तक गोली चलाने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। विदिशा में सरकारी अस्पताल में एक माह में 24 और शहडोल जिले में 36 बच्चों की मौत इसलिए हो गई, क्योंकि उन्हें माकूल चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं हो पाई।

स्वाइन फ्लू से MP में एक माह में 45 से अधिक की मौत हो चुकी है। श्री सिंह ने लिखा की यह घटनाएं बतलाती है कि MP सरकार MP के नागरिकों के मानव अधिकारों के संरक्षण में पूरी तरह असफल साबित हुई है। वे कौन से कारण हैं कि MP मानव अधिकार आयोग में पिछले 10 साल में आयोग के अध्यक्ष तक की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

नेता प्रतिपक्ष ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से आग्रह किया कि वे MP में घटित घटनाओं में नागरिकों के मानव अधिकारों के संरक्षण के मामले में MP सरकार से तत्काल MP मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति का आदेश दें।

Created On :   12 Sept 2017 9:03 PM IST

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