राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया जिले के स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में पथ संचलन का आयोजन सम्पन्न

Organizing a path movement in full uniform by the volunteers of Rashtriya Swayamsevak Sangh Ballia district
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया जिले के स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में पथ संचलन का आयोजन सम्पन्न
बलिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया जिले के स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में पथ संचलन का आयोजन सम्पन्न

डिजिटल डेस्क, बलिया, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा के दिन पड़ने वाले वर्ष प्रतिपदा उत्सव को मनाने हेतु बलिया शहर के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया जिले के स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में पथ संचलन का आयोजन सम्पन्न हुआ। पथ संचलन रामलीला मैदान से प्रारम्भ होकर एलआईसी तिराहा, हनुमानगढ़ी मन्दिर, विजय सिनेमा रोड, चौक, सेनानी उमाशंकर सिंह चौराहा, विशुनीपुर, चित्तू पाण्डेय चौराहा, रेलवे स्टेशन, मालगोदम रोड होते हुए वापस रामलीला मैदान पहुंचा जहां जनसमारोह के साथ कार्यक्रम का समारोप हुआ। संचलन के दौरान जगह जगह समाज के सम्भ्रांत लोग व मातृशक्तियों द्वारा संचलन में चल रहे स्वयंसेवकों पर पुष्पवर्षा की गई व भारत माता की जय व कौन चले भाई कौन चले- भारत माँ के लाल चले का उदघोष लगया गया।
संचलन से पूर्व स्वयंसेवकों द्वारा व्यायाम योग तथा आसन का प्रदर्शन किया गया। ज्ञात हो कि वर्ष प्रतिपदा का दिन संघ के स्वयंसेवकों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वर्ष प्रतिपदा के दिन ही संघ संस्थापक प. पू. डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म भी हुआ था। इसीलिए संघ का यह उत्सव वर्ष प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त कुटुंब प्रबोधन प्रमुख श्री विष्णु गोयल जी का पाथेय प्राप्त हुआ जिसके अंतर्गत उन्होंने  इस उत्सव की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा "भारतीय काल गणना" का प्रथम दिन अर्थात नववर्ष का प्रारम्भ दिवस होता है। इस उत्सव का राष्ट्रीय विजय की स्फूर्तिदायक स्मृति से भी सम्बन्ध है। अत्यंत आग्रह पूर्वक अपने जीवन कार्य को करने वाले उस मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मोत्सव का नवरात्रों का प्रारम्भ इसी दिन से होता है। प्रभु रामचंद्र का तत्वनिष्ठ, समाज तथा राष्ट्र के लिए व्यक्तिगत सुखों का त्याग करने वाला जीवन तथा भारत को राष्ट्रीय जीवन के आदर्श समझने के लिए यह त्योहार मनाया जाता है। इसी दिन विक्रमादित्य द्वारा शकों पर पूर्ण विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में विक्रमी सम्वत का प्रारम्भ हुआ। इसी दिन स्वामी दयानन्द सरस्वती जी द्वारा आर्य समाज की स्थापना की गईं। वर्ष प्रतिपदा का मुहूर्त सभी शुभ कार्यों को प्रारम्भ करने के लिए उचित माना जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि नवसमवत्सर के शुभ अवसर पर एक बालक का जन्म नागपुर में बलिराम हेडगेवार व माता रेवतीबाई के घर 1 अप्रैल 1989 को हुआ। बालक का नाम केशव रखा गया। नववर्ष पर जन्म भगवान ने मानो विशेष योजना से केशव को दिया था। यह दिवस विशेष प्रेरणा व पराक्रम का है। अतः केशव ने भी एक पराक्रम युक्त, अनुशासित, विश्व विजयी संगठन का अभिनव, ऐतिहासिक व अद्वितीय कार्य का प्रारम्भ किया जिसका नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ था।  वह छोटे रूप में प्रारम्भ किया गया कार्य आज विश्वव्यापी बन गया है। भारत के प्रत्येक प्रान्त, जिला, तहसील, गांवों, कस्बों, शहरों, गिरी- कंदराओं व वनांचलों में इस हिन्दू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य बड़े उत्साह से चल रहा है। इस संगठन कि शाखाओं पर देशभक्ति, अनुशासन, चारित्र्य, समता का भाव जाग्रत कर प्रान्त, जाति, वर्ण, व्यवसाय, ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर हम हिन्दू हैं का भाव लेकर सेवा कार्य, शिक्षा, किसान, मजदूर, वनवासी आदि अनेक विविध क्षेत्रों में कार्यकर्ता जुट गए है। इन कार्यकर्ताओं का एक ही धुन है कि भारत को पुनः परम् वैभव पर ले जाकर गौरवशाली बनाना है।
उन्होंने आगे बताया कि संघ को जानना है तो पहले डॉक्टर हेडगेवार को जानना आवश्यक है। वे संघ के निर्माता थे। संघ में हम कहते हैं कि डॉ हेडगेवार ने अपने को बीज रूप में मिट्टी में मिला कर संघ के वृक्ष को बड़ा किया। इसलिए संघ के सारे कार्य में डॉक्टर हेडगेवार के मानस का प्रतिबिंब मिलता है। डॉक्टर हेडगेवार को जाने बिना संघ को समझना कठिन है। आज अगर हम संघ को देखेंगे तो डॉक्टर हेडगेवार का मानस क्या था, इसकी झलक मिल सकती है। इसलिए समझने वालों को वहां से प्रारंभ करना पड़ता है।
उन्होंने आगे बताया कि  भारत के लगभग हजार वर्ष के परतन्त्रता काल के कारण हमारी मनोवृति दासता की बन गयी और हम अपनी संस्कृति व परम्परा को हेय समझने लगे। यही कारण है कि हम परकीय परम्परा, भाषा, वेश आदि को अपना रहें हैं। बड़ी संख्या में हमारे देश के लोग 1 जनवरी को वर्ष का प्रारंभ मानने लगे। यह दासता का द्योतक है। वास्तव में वर्ष के प्रारम्भ दिवस के रूप में 1 जनवरी अवैज्ञानिक व तथ्यहीन है। पहले पश्चिम में ईसाइयों ने वर्ष में 10 महीने माने थे। आठ वर्ष के अंत में उनकी सभी गणनाएं गड़बड़ा जाती थीं। फिर उन्होंने 10 मासों में 2 मास और जोड़ दिए। लेकिन उनसे भूल यह हुयी कि यह दो मास प्रारम्भ में ही जोड़ दिए। उन्हें अंत में ही जोड़ना चाहिए था।
 संघ प्रार्थना के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
मंच पर माननीय जिला संघचालक आदरणीय भृगु जी भी उपस्थित रहे।
अतिथियों का परिचय जिला कार्यवाह हरनाम जी व आभार सह जिला कार्यवाह अरुण मणि ने किया। अध्यक्षता सेवानिवृत्त आयकर निरीक्षक श्री अनुग्रह कुमार सिंह एवं संचालन राजेन्द्र पाण्डेय जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक सौरभ जी थे।
कार्यक्रम में सह जिला संघचालक डॉ. विनोद सिंह, नगर संघचालक बृजमोहन जी, सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री जी, सह प्रान्त कार्यवाह विनय जी, विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश जी, संजय शुक्ल, जिला प्रचारक सत्येन्द्र जी, नगर प्रचारक सचिन जी के साथ हजारों की संख्या में सभी संवैचारिक परिवार के स्वयंसेववक बन्धु  उपस्थित थे।


 

Created On :   1 April 2022 12:24 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story