उमरिया में10 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण की चपेट में,1742 अतिकुपोषित 

Over 10 thousand children in Malaria under malnutrition, 1742 underreported
उमरिया में10 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण की चपेट में,1742 अतिकुपोषित 
उमरिया में10 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण की चपेट में,1742 अतिकुपोषित 

आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं बुनियादी सुविधाएं, अभियान के नाम पर कागजों में खर्च हो रही राशि
डिजिटल डेस्क उमरिया ।
आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले से कुपोषण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जुलाई की स्थिति में यहां 0-5 आयु वर्ग में 1742 बच्चे अतिकुपोषित व 10,387 बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। जनवरी 2019 से अभी तक सात बच्चों का जीवन कुपोषण ने निगल लिया। प्रशासनिक लापरवाही के कारण शासन की तमाम योजनाएं कुपोषण रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं, क्येांकि योजनाओं पर जमीनी स्तर पर काम ही नहीं होता है। वर्तमान में जिले के अधिक एनआरसी खाली पड़े हैं। 
कोरोना काल के पांच माह में तो प्रशासन की व्यवस्थाएं पूरी तरह चौपट हो चुकी हैं। पोषण आहार हो या अन्य गतिविधियां सब बंद पड़ी हैं। जिला मुख्यालय से चंद दूरी पर ही अतिकुपोषित बच्चे मिल जाते हैं। दूसरी ओर आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं।
फिर शुरू हो रहा जागरूकता अभियान
सितंबर में महिला एवं बाल विकास विभाग पोषण माह जनजागरुकता अभियान प्रारंभ कर रहा है। चार सप्ताहों में जीवन चुक्र एप्रोच के आधार पर कार्यक्रम होंगे। इससे पहले पूर्व कलेक्टर ने कुपोषण को मिटाने समाजसेवियों एवं युवा पीढ़ी के साथ मुहिम छेड़ी थी। समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने उमरिया, चंदिया नगर के आसपास के 48 कुपोषित बच्चों को गोद लिया था। फरवरी में 1941 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति का अभियान चला। धीरे-धीरे कोरोना काल में सारी गतिविधियां थम गई।
यहां मिले कुपोषित बच्चे
जिला मुख्यालय से आठ किमी. दूर भर्रीटोला गांव में माया बैगा की एक साल की बेटी कुपोषण का शिकार हो गई। अमड़ी गांव में लाली बैगा का दो साल का बच्चा कुपोषित है। 
खैरा गांव में बुंदा बाई का पांच साल का बेटा जन्म से कुपोषित है। एक बार एनआरसी ले गए। वहां से हायर सेंटर रैफर कर दिया। दोबारा कोई झांकने तक नहीं आया।  
करकेली जनपद के गांजर गांव 15 माह का बालक बहुत ही कमजोर है। हाथ पैर सूख रहे हैं। कमर के नीचे का हिस्सा अति दुर्बल है। बालक का पिता मैकू सिंह गोंड (40) व मां सुनीता सिंह दोनों दिव्यांग है। जुलाई में इन्हें परियोजना अधिकारी ने एनआरसी में भर्ती कराया था।
इनका कहना है
जिले में पोषण माह तीन सितंबर से प्रारंभ हो रहा है। आंगनबाड़ी में विभागीय गतिविधियां संचालित कर कुपोषितों को स्वस्थ्य करने का प्रयास करेंगे। 
मनमोहन सिंह कुसराम डीपीओ उमरिया

Created On :   1 Sept 2020 3:37 PM IST

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