रस्सी से बंधे हैं गेट, फर्स्टएड बॉक्स भी नहीं, खटारा बसों में सफर करने को मजबूर हैं यात्री

Passengers under pressure for the travelling in indian buses
रस्सी से बंधे हैं गेट, फर्स्टएड बॉक्स भी नहीं, खटारा बसों में सफर करने को मजबूर हैं यात्री
रस्सी से बंधे हैं गेट, फर्स्टएड बॉक्स भी नहीं, खटारा बसों में सफर करने को मजबूर हैं यात्री

डिजिटल डेस्क कटनी । आए दिन होते बसों के हादसों एवं बसों में होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए शासन ने बसों की फिटनेस जांचने, सीसीटीव्ही कैमरा लगाने सहित अन्य सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। इंदौर में हुए बस हादसे के बाद परिवहन विभाग ने सक्रियता का ढोंग किया लेकिन जैसे ही मामला शांत हुआ फिर पुराने ढर्रे पर कामकाज होने लगा। लोग खटारा वाहनों में सफर करने विवश हैं। कबाड़ हो चुकी बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं। ऐसे बसें भी सड़कों पर दौड़ रही हैं जिनके दरवाजे टूटे हैं, खिड़कियां गायब हैं। ज्यादातर बसों में फस्र्टएड बाक्स ही नदारद हैं।
बसों में ना तो सीसीटीव्ही लगे और ना ही ब्रेस्टफीड कार्नर बनाए गए। ये कबाड़ बसें पैसेंजर के लिए खतरा तो बनी हैं पर जिम्मेदारों की लापरवाही को भी उजागर कर रही हैं।
जर्जर बसों में सफर-
जिले के प्रमुख बस स्टेंड से प्रतिदिन सौ से अधिक बसों का आवागमन होता है। बस स्टेंड में खड़ी बसें परिवहन विभाग में बरती जाने वाली लापरवाही की साफ चुगली कर रही हैं। बसों के दरवाजे टूटे हैं, जिन्हे रस्सी से बांधा गया है। इतना ही नहीं कई खिड़कियों के कांच नदारद हैं। ऐसी एकाध नहीं वरन दर्जनों बसें जिले और जिले के बाहर तक दौड़ रही हैं। ऐसी बसों में सफर करना यात्रियों के लिए किसी कब जानलेवा साबित हो जाए कहना मुश्किल है। बाहर से भीतर तक बसों का नजारा देखने से ही जाहिर होता है कि परिवहन विभाग द्वारा परमिट और फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने में किस तरह की लापरवाही बरती जाती है।
इनका कहना है-
कार्यालयीन कार्यों की व्यस्तता के कारण बसों की जांच का कार्य कुछ दिनों से शिथिल है। कलेक्टर के निर्देश पर आज ही बस स्टेंड में वाहनों का निरीक्षण किया था और कंडम वाहनों एवं अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी। बसों की जांच के लिए जल्द ही फिर से अभियान शुरू किया जाएगा।
एम.डी.मिश्रा आरटीओ कटनी

 

Created On :   16 Feb 2018 2:27 PM IST

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