मरीजों को दूषित पानी पिला रहा अस्पताल प्रबंधन, बरसात में भी साफ नहीं हुई पानी की टंकीयां

Patients are getting polluted water, water tank is not clean
मरीजों को दूषित पानी पिला रहा अस्पताल प्रबंधन, बरसात में भी साफ नहीं हुई पानी की टंकीयां
मरीजों को दूषित पानी पिला रहा अस्पताल प्रबंधन, बरसात में भी साफ नहीं हुई पानी की टंकीयां

डिजिटल डेस्क, उमरिया। जिला मुख्यालय की शासकीय अस्पताल में मरीजों को अशुद्ध पानी पिलाया जा रहा है। बरसात का मौसम वैसे भी जल जनित बीमारियों के लिए अनुकूल माना जाता है। खासकर मलेरिया व पीलिया जैसी गंभीर बीमारी गांव से लेकर शहर में पांव पसारती हैं। फिर भी अस्पताल में पानी स्टोरेज में कोताही बरती जा रही है। आखिरी बार पेयजल सप्लाई की टंकियों की सफाई जून माह में हुई थी। जुलाई और अगस्त हो रहा है पानी टंकी की सफाई नहीं हुई। सफाई के अभाव में मरीज दूषित पानी की शिकायत कर रहे हैं।

जिला अस्पताल में बरसात के साथ ही मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। प्रतिदिन ओपीडी में 400 से अधिक मरीज दस्तक दे रहे हैं। इनडोर मरीज औसतन 30-40 प्रतिदिन भर्ती होते हैं। ज्यादातर मरीज सर्दी जुकाम, वायरल, मलेरिया, सिरदर्द व पीलिया की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। खासकर जुलाई-अगस्त का माह मलेरिया जैसी घातक बीमारी को बढ़ावा देने वाला माना जाता है।

शिकायत करते हैं मरीज
मसूरपानी निवासी राम दयाल ने बताया वह अपने पिता का ऑपरेशन कराने जिला अस्पताल आया था। यही रहकर इलाज करवा रहा है। अस्पताल में लगे वॉटर कूलर से दूषित मटमैला पानी आता है। कौड़िया निवासी सुखराम सिंह ने बताया वह पिछले एक हफ्ते से अपनी पत्नी को लेकर भर्ती है। पत्नी को मलेरिया बिगड़ने पर डॉक्टर ने भर्ती कराया था। पेयजल के लिए नल से मिलने वाला पानी मटमैला व बदबूदार आता है। बाटल में भरते ही नीचे पीली परत जम रही है।

मरीजों का कहना है उन्होंने इस संबंध में डॉक्टर व स्टाफ को भी बताया, लेकिन अभी तक सुधार नहीं हो सका है। सूत्रों के  मुताबिक अस्पताल में पेयजल सप्लाई के लिए लगी पानी टंकियों की साफ-सफाई में लापरवाही की जा रही है। आखिरी बार पानी टंकी जून माह में साफ हुई थी। तब से कई जगह लीकेज आदि के चलते संक्रमित व दूषित जल पिलाया जा रहा है।

अस्पताल के पीछे पनप रहा लार्वा
बारिश का महीना खासकर जुलाई व अगस्त में मलेरिया बीमारी अपना पांव पसारती है। बरसात के दौरान जगह-जगह गड्ढों में एकत्रित पानी में मलेरिया के वाहक मच्छर अपना लार्वा देते हैं और इस तरह मच्छर लोगों को काटकर मलेरिया का संक्रमण फैलाते हैं। अस्पताल परिसर में सामने की साफ-सफाई तो है, लेकिन पीछे का एरिया खरपतवार, झाड़ीयों से भरा हुआ है। यही नहीं स्टेडियम वाले छोर में चंद माह पहले मर्चुरी कक्ष का निर्माण चल रहा था। बेस वर्क के लिए गहरे-गहरे गड्ढे खोदे गए। फिर बाद में कार्य शुरु होने के पहले ही विवाद के चलते कार्य रोकना पड़ गया। वर्तमान में वहां अच्छी खासी तादात में बरसात का पानी इकट्ठा हो रहा है। वार्डों से निकलने वाला दूषित व कैमिकल युक्त पानी दुर्गंध फैला रहा है। मरीजों का कहना है इस क्षेत्र के वार्डों में मच्छरों का प्रकोप भी ज्यादा है।

0.2 पीपीएम क्लोरोनेडेट जरुरी
वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. एसबी तिवारी की मानें तो कम से कम 2-3 माह में नियमित पानी टंकी की सफाई कर 0.2 पीपीएम क्लोरोनेटेट कर मरीजों को पानी पिलाना चाहिए। सफाई के समय वैक्टीरिया इंफेक्शन खत्म करने के लिए क्लोरीन व अन्य पानी स्वच्छता के लिए पदार्थ का उपयोग जरुरी है। दूषित पानी से मरीजों को पीलिया, कॉलरा, वार्मिटिंग, डायरिया जैसे बीमारी का खतरा होता है।

मिली है शिकायत
दूषित पानी को लेकर शिकायत मुझे भी मिली है। मैंने हाल ही में पद भार गृहण किया है। आरएमओ से जानकारी लेकर सफाई करवाई जाएगी।
वीपी पटले, सिविल सर्जन जिला अस्पताल

Created On :   6 Aug 2018 11:20 AM GMT

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