बकरा चोरी में पुलिस ने हमनाम को भेजा जेल, हाईकोर्ट ने पूछा क्यों न 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए 

Police sent jail for goat theft, high court compensation of 20 lakh rupees
बकरा चोरी में पुलिस ने हमनाम को भेजा जेल, हाईकोर्ट ने पूछा क्यों न 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए 
बकरा चोरी में पुलिस ने हमनाम को भेजा जेल, हाईकोर्ट ने पूछा क्यों न 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। बुरहानपुर में वर्ष 1997 में मयाराम सीताराम तंवर ने बकरा चोरी किया था। इस मामले में उसका गिरफ्तारी वारंट किया गया था। बुरहानपुर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में मयाराम सीताराम वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसका खुलासा हाईकोर्ट के आदेश पर बुरहानपुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई जांच में हुआ है। जांच रिपोर्ट देखने के बाद जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अंजुली पालो की युगल पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न पीड़ित को 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को नियत की है। 

यह है मामला 

बुरहानपुर के ग्राम बड़वा निवासी रिंकू बाई वर्मा की ओर से दायर प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया कि वर्ष 1997 में मयाराम सीताराम तंवर पर बकरा चोरी का प्रकरण दर्ज किया गया था। पेशी पर नहीं जाने पर न्यायालय से उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। बुरहानपुर सिटी कोतवाली पुलिस ने 8 मई 2019 को उसके पति मयाराम सीताराम वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस को बार-बार बताया कि वह मयाराम सीताराम तंवर नहीं है। पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी। इसकी वजह से उसे 81 दिन जेल में रहना पड़ा।हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान बुरहानपुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। 

तंवर की जगह वर्मा को भेजा जेल 

जिला एवं सत्र न्यायाधीश बुरहानपुर की ओर की पेश रिपोर्ट में कहा गया कि बुरहानपुर सिटी कोतवाली पुलिस ने मयाराम सीताराम तंवर की जगह मयाराम सीताराम वर्मा को जेल भेजा था। रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज मयाराम सीताराम तंवर के शारीरिक निशान मयाराम सीताराम वर्मा के शारीरिक निशान से अलग है। क्षेत्रीय लोगों ने भी अपने बयान में कहा कि जेल जाने वाला व्यक्ति निर्दोष है।

81 दिन जेल में रहा, 20 लाख रुपए मुआवजे की मांग 

अधिवक्ता हितेश बिहरानी, रविशंकर यादव और जोगेन्द्र तिवारी ने तर्क दिया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश की रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि पीडि़त व्यक्ति को उसके हमनाम व्यक्ति की जगह जेल भेजा गया था। पुलिस की गलती से पीड़ित को 81 दिन तक जेल में रहना पड़ा। इसलिए पीड़ित को 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है।
 

Created On :   20 Aug 2019 8:30 AM GMT

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