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प्रशासक राज में हल नहीं हो रहीं जनता की समस्याएं
डिजिटल डेस्क, वर्धा। कोराना नामक वैश्विक बीमारी का संकट, ओबीसी आरक्षण के मसले के कारण नगरपालिका चुनाव में देरी हो रही है। जिले की छह नगरपालिका का कार्यकाल समाप्त होने के कारण संबंधित पालिका के मुख्याधिकारियों की प्रशासक के रूप में नियुक्ति की गयी है। लेकिन प्रशासक राज में काम नहीं होने के कारण नागरिक शिकायतें कर-कर के परेशान हो गये हैं। जिले की वर्धा, सिंदी, आर्वी, देवली, पुलगांव व हिंगणघाट इन छह नगर पालिका का कार्यकाल गत वर्ष नवंबर महीने में ही समाप्त हो गया है। चुनाव आयोग ने चुनाव की तैयारी आरंभ की थी। उसी दरम्यान सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी को आरक्षण दिए बिना ही स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव लेने का निर्णय दिया। इसी बीच राज्य सरकार ने चुनाव लेने के अधिकार अपनी ओर लिए हैं। इसके कारण चुनाव आयोग की तैयारी पर पानी फिर गया है। इसके कारण अब चुनाव की नये सिरे से तैयारी आरंभ की गयी है। आगामी कुछ महीने स्थानीय नगरपालिका के चुनाव होना संभव नहीं होने के कारण प्रशासकों की नियुक्ति की गयी है। लेकिन वे जनता की समस्या हल करने में नाकामयाब होने की शिकायतें प्राप्त हो रही है। नागरिक शिकायतें कर कर के त्रस्त हो गये हैं। लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है।शहर में सफाई कार्य, ड्रेनेज की मरम्मत, अितक्रमण हटाव मुहिम, जलापूर्ति से संबंधित शिकायताें का अब तक निपटारा नहीं हो पाया है। इसके साथ ही विविध प्रकार की शिकायतंे नगरपालिका के प्रशासकों की ओर की जा रही है, लेकिन शिकायतों का समाधान नहीं किए जाने से प्रशासक के बजाये नगरसेवकों का राज ही अच्छा था,ऐसी चर्चा है। अब नागरिक जल्द से जल्द चुनाव लेने की बात कर रहे हैं। जिले की छह नगरपालिका में मुख्याधिकारियों ने प्रशासक का पदभार संभाला हैं। लेकिन उनसे जनता की समस्याएं नहीं सुलझ रही हैं, ऐसा नागिरकों का कहना है।
पार्षदो का अधिकारियों पर दबाव
पार्षदों को उनके कार्यकाल में नागरिक अपनी समस्याएं बताते थे। पार्षद उन्हें साथ लेकर पालिका में आकर समस्या हल करते थे। अधिकारियों पर पार्षदों का व पार्षदों पर जनता का दबाव रहता था। इसके कारण नागरिकों के काम समय पर होते थे। लेकिन अब अधिकारियों पर किसी का दबाव नहीं होने के कारण वे अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। इसके कारण काम नहीं होने की बात नागरिक कर रहे हैं।
ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई टली : ओबीसी के आरक्षण का मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय तक पहंुच गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी को आरक्षण दिए बिना स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव लेने के आदेश राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग को दिए थे। लेकिन इस आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इस पर सोमवार 25 अप्रैल को सुनवाई होनी थी। लेकिन यह सुनवाई टल गयी है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 13 याचिका दायर की है। जिसपर 21 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने विस्तृत हलफनामा दायर करने एड. सचिन पाटील के माध्यम से अतिरिक्त समय मांगा था। उस दौरान सोमवार 25 अप्रैल तक सुनवाई टाल दी थी। लेकिन सोमवार को पुन सुनवाई टल गयी। राज्य सरकारने सर्वोच्च न्यायालय में अब हलफनामा दायर किया हैं। जिसमें सभी याचिकाओं पर 4 मई को सुनवाई होगी।
Created On :   27 April 2022 6:46 PM IST