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राहुल ने कहा - मेरा मजाक उड़ाया जाता है, कमजोर को देखता हूं तो दर्द होता है
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। रघुनाथसिंह लोधी। नांदेड में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का किसानों से संवाद पूरी तरह से युवाओं पर केंद्रित रहा। सभाओं में भाषण की परंपरागत शैली से हटकर वे स्वयं को युवाओं के करीब सामान्य कार्यकर्ता दर्शाते रहे। सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति व काम पर प्रहार करने से वे नहीं चूके साथ ही घोषणा वादों की राजनीति से दूर रहने का दावा करते हुए वे सत्ता परिवर्तन का आश्वासन भी लोगों से मांग गए। युवाओं विशेषकर किसानपुत्रों की स्थिति का जिक्र करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस समय देश का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है। दूसरा मुद्दा किसान है। शिक्षा व स्वास्थ्य तीसरा व चौथा मुद्दा है।
सरकार अवार्ड देती है पर देश की प्रतिभाओं को योग्य मदद नहीं दे पाती है। नांदेड के दादाजी खोबरागड़े के साथ भी ऐसा ही हुआ। दादाजी के घर में 108 अवार्ड देखें गए हैं, पर उन्हें सरकार की मदद नहीं मिलने से परिवार आर्थिक संकट में हैं। दादाजी द्वारा संशाेधित बीजों को ही प्रोत्साहन दिया जाता तो कई रोजगार उपलब्ब्ध होते। जिनके पास ज्ञान है,हुनर है,जिनमें समझ है उन्हें सरकार की मदद मिलनी चाहिए। कुछ बड़े उद्यमियों को 35 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया। लघु व कृषि आधारित उद्योगों के लिए 5 करोड़ भी दिये जाते तो 50 हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ब्ध होता। छोटे व्यवसाय के लिए पैसा मिलेगा तो कंपनियां तैयार होगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा।
धान उत्पादक किसानों के संकट का जिक्र करते हुए कहा कि जिला स्तर पर खाद्य प्रक्रिया केंद्र आरंभ करने की आवश्यकता है। व्यवस्था एेसी हो कि खेतों में उगाया चावल थाली तक पहुंचने का व्यापक इंफ्राटक्चर हो। सड़क, कारखाना, कोल्ड स्टोरेज व बैंक की व्यवस्था हो। भारत का मुकाबला चीन से है। मोबाइल फोन जैसे उत्पादों पर कहीं भी मेड इन इंडिया या मेड इन महाराष्ट्र लिखा नजर नहीं आता है। देश में युवाओं की भागीदारी से कारखानें तैयार करने की आवश्यता है। खेत में काम करते किसानों की स्थिति में सुधार के साथ ही पहली प्राथमिकता के साथ युवाओं को रोजगार दिलाने की दिशा में काम करना है। सरकार व प्रधानमंत्री को बार बार बड़े उद्यमियों का मित्र मानते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि किसानों की सहायता के लिए पैसों की कमी नहीं है। सरकार केवल बड़े उद्यमियों को सहायता दे रही है। बड़े उद्यमियों के साथ ही किसानों को भी सहायता मिले अन्यथा किसी को मदद ही न दें।
3 प्रश्न 30 मिनट
राहुल गांधी ने सभा में अपनी बात रखने के बजाय सीधे ग्रामीणों से संवाद साधा। संवाद कार्यक्रम के तहत 3 प्रश्न पूछे गए। युवा, किसान व महिला प्रतिनिधि के तौर पर तीन लोगों के प्रश्नों का 30 मिनट में उत्तर देकर राहुल गांधी दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इन प्रश्नों के उत्तर के माध्यम से ही उन्होंने अपनी बात भी जनता के बीच रखी। हरित क्रांति का जिक्र करते हुए उन्होंने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल का भी स्मरण कराया।
भावुक अंदाज रहा कायम
अप्रैल 2015 में राहुल गांधी ने अमरावती जिले में 15 किमी की पदयात्रा की थी। आत्महत्याग्रस्त किसान परिवारों से मुलाकात की थी। किसानों के दुख दर्द का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि किसानों को किसी ने कायर कहा तो उनके दिल का गहरा दुख हुआ। वे यही बोलने आए हैं कि किसान कायर नहीं हैं। नांदेड में भी उन्होंने भावुक अंदाज में कहा कि किसान घबराया हुआ है। सरकार ने किसानों के साथ खड़ा रहना चाहिए। वे और कांग्रेस किसानों के साथ है, यही संदेश देने आए हैं।
Created On :   13 Jun 2018 10:17 PM IST