रेलवे स्टेशनों पर पानी के नाम पर यात्रियों से लूट

railway Passengers depends on stalls and vendors for cold water
रेलवे स्टेशनों पर पानी के नाम पर यात्रियों से लूट
रेलवे स्टेशनों पर पानी के नाम पर यात्रियों से लूट

डिजिटल डेस्क  कटनी । भीषण गर्मी के इस दौर में आजकल हर कोई ठंडा पानी चाहता है। ट्रेनों में यात्रा करने एवं स्टेशन पर ट्रेनों का इंतजार करने वाले यात्री ठंडे पानी के लिए स्टाल और वेंडर पर ही निर्भर रहते हैं। रेलवे स्टेशनों में पहले वाटर कूलर लगे रहते थे लेकिन अब ज्यादातर बंद हैं। लोगों को खरीद कर ही पानी पीना पड़ता है। लोगों की इसी मजबूरी को वेंडर बेजा फायदा उठा रहे हैं। वेंडर और स्टाल संचालकों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने के बजाय रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी संरक्षण देते नजर आते हैं। 

ऐसे हो रही मुनाफाखोरी 
पानी की जिस बॉटल की कीमत आठ रुपए 33 पैसे है उसका प्रिंट रेट 15 रुपए है लेकिन ठंडा करने के नाम पर यही बॉटल रेलवे स्टेशन  और ट्रेनों में 20 रुपए में बेची जा रही है। इससे कम कीमत में ट्रेनों और स्टेशनों में पानी की बॉटल मिलना मुश्किल होता है। जिसे प्यास बुझाना है तो उसे ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इतना ही नहीं स्टेशनों और ट्रेनों में ब्रांड भी तय हैं पर वेंडरों द्वारा अनाधिकृत कंपनियों के पानी की बॉटल बेची जा रही हैं। रेलवे टीसी स्टाफ से लेकर आरपीएफ, जीआरपी  इन्हें देखकर भी अनदेखा कर देते हैं। इस मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने के बजाय रेलवे के स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेंडर्स को संरक्षण दिया जाता है। स्टेशन और ट्रेनों में अवैध वेंडर्स की भरमार रहती है। 

50 रुपए में लूट की खुली छूट 
ट्रेनों और स्टेशनों में यात्रियों को लूट खसोट से बचाने की जिन पर जिम्मेदारी है वे ही लूट की छूट दे देते हैं। बताया जाता है कि ट्रेनों और स्टेशनों में ड्यूटी करने वाले जीआरपी, आरपीएफ स्टाफ द्वारा अवैध वेंडरों से 50 से सौ रुपए तक वसूली की जाती है। हिस्सा मिलते ही सुरक्षा करने वाले यात्रियों को लूटने की खुली छूट देते हैं। फिर यह अवैध वेंडर यात्रियों से खाद्य एवं पेय पदार्थों की मनमानी कीमत वसूलते हैं। 

बिक रही दूषित, बासी खाद्य सामग्री 
रेलवे स्टेशन में दूषित एवं बासी खाद्य सामग्री यात्रियों को परोसी जा रही है। बताया जाता है कि सुबह से बने समोसे, आलूबंडा, भजिया रात तक बेचते रहते हैं। इसके अलावा अन्य खाद्य सामग्री भी दूषित और बासी बेची जा रही हैं। बार-बार गर्म करने से आलूबंडा, भजिया, समोसे जहरीले हो जाते हैं और इन्हें ही यात्रियों को परोस दिया जाता है। इसी तरह सुबह की चाय शाम तक चलाते रहते हैं। चाय के रेट रेलवे ने भले ही पांच  से सात रुपए तय किए हैं लेकिन दस रुपए से कम की चाय स्टेशन में नहीं मिलती है। चाय भी इतनी घटिया कि लोग दो घूंट पीने के बाद फेंकने के लिए विवश होते हैं। 

नहीं होता संयुक्त निरीक्षण 
अवैध वेंडर, ओवर चार्जिंग और दूषित खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण के लिए रेलवे ने अलग-अलग विभागों को अधिकार दे रखे हैं। इन विभागों को बीच-बीच में संयुक्त निरीक्षण करना चाहिए लेकिन मुख्य रेलवे स्टेशन कटनी सहित साउथ और मुड़वारा में कई माहों से संयुक्त निरीक्षण की पहल नहीं की गई। जिससे यात्रियों को लूटने की खुली छूट मिली हुई है। जबकि पिछले दिनों जबलपुर से विजलेंस टीम ने आकर कटनी और मुड़वारा में दूषित खाद्य सामग्री पर कार्रवाई की थी लेकिन स्थानीय अधिकारियों की इसके बाद भी नींद नहीं खुली। 

इनका कहना है 
स्टेशन में बिकने वाली खाद्य सामग्रियों की समय-समय पर जांच की जाती है। मेरे द्वारा सात बार निरीक्षण किया जा चुका है। अवैध वेंडर एवं ओवर चार्जिंग के लिए आरपीएफ, कामर्शियल एवं ऑपरेटिंग विभागों को ज्वाइंट इंस्पेक्शन करना चाहिए, जिससे यात्रियों को शोषण से बचाया जा सकता है। 
अनुज सोनी, सीएचआई कटनी 

 

Created On :   22 May 2018 8:35 AM GMT

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