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बीजोत्पादन उपक्रम को मिला अच्छा प्रतिसाद, बुआई के क्षेत्र में होगी वृद्धि
डिजिटल डेस्क, वर्धा। सोयाबीन की फसल के लिए गर्मी के मौसम की तुलना में खरीफ मौसम अनुकुल माना जाता है लेकिन पिछले दो-तीन वर्ष में खरीफ मौसम में सोयाबीन का काफी नुकसान हुआ है। इस नुकसान को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से जिले में गत वर्ष से ग्रीष्मकालीन सोयाबीन बीजोत्पादन कार्यक्रम शुरू किया। इस उपक्रम को किसानों की ओर से गत वर्ष अच्छा प्रतिसाद मिलने से इस बार कृषि विभाग ने ग्रीष्मकालीन सोयाबीन के बुआई का नियोजन किया है।गत वर्ष से इस वर्ष ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुआई का क्षेत्र बढ़ने वाला है। इस कारण कृषि विभाग ने इस बार 1 हजार हेक्टेयर क्षेत्र का नियोजन किया है। इस बार पानी के उपलब्धता को देख इसमें अधिक वृद्धि होने की संभावना कृषि विभाग की ओर से जताई जा रही है।
विश्व की आिर्थक व्यवस्था में कच्चे तेल के बाद सर्वाधिक बहुमूल्य कमोडीटी के रूप में सोयाबीन की पहचान है। गत दो वर्ष में सोयाबीन के उत्पादन में कमी आने से खाद्यतेल के दाम आसमान छू रहे हैं। थोक बाजार में भी सोयाबीन को 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम बढ़े थे। इसका फायदा ग्रीष्मकालीन सोयाबीन का उत्पादन लेने वाले किसानों को हुआ था।
गत वर्ष शुरुआत में ही सोयाबीन की फसल पर खोड़मक्खी का आक्रमण हुआ था। इस कीट पर कीटनाशक तथा अन्य प्रयोग करने पर कुछ किसानों के हाथों में फसल आयी। एसे में लगातार बारिश ने ऐन कटाई के समय हािजरी लगाने से किसानों के हाथ आयी फसल काली पड़ गयी। परिणामत: जिले में सोयाबीन का उत्पादन घट गया। उस समय किसानों के पास बुआई के लिए सोयाबीन के बीज नहीं होने से ऐन बुआई के समय सोयाबीन को अच्छे दाम मिले थे।
कम खर्च में अधिक उत्पादन देने वाला तथा नकद फसल के रूप में सोयाबीन की पहचान है। इस कारण सोयाबीन के बुआई के क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हुई लेकिन आधुनिक व योग्य बुआई की पद्धति पर अमल नहीं करने से कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन का उत्पादन कम आता है लेकिन आधुनिक पद्धति व सोयाबीन की योग्य पद्धति से बुआई की तो अधिक उत्पादन लिया जा सकता है, एेसा प्रयोग से सिद्ध हुआ है।
इस कारण कृषि विभाग की ओर से जिले में गत वर्ष से सोयाबीन बीजोत्पादन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। किसानों के पास खरीफ मौसम में बुआई के लिए सोयाबीन के बीज नहीं होने से कृषि विभाग की ओर से गत वर्ष वर्ष ग्रीष्मकालीन सोयाबीन बुआई की संकल्पना पर अमल किया जा रहा है। जिन किसानों के पास पानी की सुविधा थी। उन्होंने इस उपक्रम को सकारात्मक प्रतिसाद देकर बुआई की। जिले में करीब 924.80 हेक्टेयर क्षेत्र के उपर सोयाबीन की बुआई की गयी थी। इसमें से 20 फीसदी फसल पर यलो मोजक इस कीट ने चौपट कर दी। मात्र 80 फीसदी फसल को करीब 8 से साढ़े 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम मिले थे। खरीफ मौसम की तुलना में ग्रीष्मकालीन मौसम में सोयाबीन को अच्छे दाम मिले।
Created On :   7 Dec 2021 8:06 PM IST