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पतनार में दहाड़ रहा बाघ, एलर्ट हुआ वन अमला
डिजिटल डेस्क, उमरिया। पखवाड़े भर पहले घुनघुटी के पतनार टोला में बाघ की चपेट में चरवाहे के आने के बाद फिर से बाघ ने उपस्थिति दर्ज कराई है। पनवारी गांव में एक गाय बाघ का निवाला बन गई। बिजौरी से लगे जंगल में भी बाघ का मूवमेंट बताया जा रहा है। वन्यप्राणियों की हलचल को भांपते हुए गांव में वन अमला सक्रिय है। खासकर घुनघुटी, पतनार, कोचादर, पनवारी, आमगार गांव में लोगो को सुरक्षा के साथ जंगलों में जाने जागरुक कर रहा है।
बाघिन व शावकों का मूवमेंट
पाली सब डिवीजन में हाल ही के समय में ज्यादातर मूवमेंट की भनक घुनघुटी, पतनार टोला, आमगार, कोचादर, पनवारी, मालाचुआ, रौगढ़ के आसपास वन्य क्षेत्रों में मिली है। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक पनवारी गांव में एक गाय वन्यप्राणी के हमले में मृत मिली थी। इसी तरह बिजौरी, पतनार में लगातार बाघ दहाड़ने की आवाज सुनी जा रही हैं। ग्रामीणों की सूचना पर वन अमला इन क्षेत्रों में गश्त बढ़ा चुका है। रुटीन गश्त के अलावा जागरुकता व जंगल में प्रवेश व आवागमन के दौरान एहतियात की जानकारी दी जा रही है।
मझगवां नर्सरी में कार्यशाला
वन्य प्राणी विशेषज्ञों की मानें तो घुनघुटी के जंगलों में पाए जाने वाले बाघ ज्यादा खूंखार होते हैं। ये बांधवगढ़ के बाघों की भांति वाहन व मानवीय आहट की प्रतिक्रिया के ठीक विपरीत रिस्पांस करते हैं। यही कारण है कि इस तरह हमले की घटनाएं ज्यादा होती है। इसी संघर्ष को कम करने वन विभाग द्वारा मझगवा नर्सरी में कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। सीसीएफ, डीएफओ की उपस्थिति में जनप्रतिनिधियों को भी जागरुकता कार्यक्रम से जोड़ा गया। ताकि वन प्राणियों की सुरक्षा के साथ उन्हें संघर्ष की स्थिति बनने से पहले सुरक्षित बचाया जा सके। इस कार्यशाला में आसपास के ग्रामीणों को सुरक्षा को लेकर बताया गया।
इनका कहना है
पतनारटोला की घटना के बाद ट्रैप कैमरों की मदद से काफी कुछ मदद मिली है। उसी के आधार पर चिन्हित क्षेत्रों में सुरक्षा चौकन्नी कर दी गई है। ग्रामीण भी ऐसे क्षेत्रों में प्रवेश से बचे। कहीं कोई घटना होने पर हमें जानकारी दें।
राहुल मिश्रा, एसडीओ पाली
घुनघुटी रेंज के तकरीबन आधा दर्जन गांव में हमारी टीम नाइट गश्त के साथ ग्रामीणों के संपर्क में हैं। लोगों के बीच पहुंचकर वन्यप्राणियों की टोह ली जा रही है।
एपी त्रिपाठी, रेंजर घुनघुटी
Created On :   6 Aug 2018 4:55 PM IST