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कृषि उपज मंडी में सन्नाटा, सीधे व्यापारियों को फसल देने मजबूर हैं किसान
डिजिटल डेस्क उमरिया । सालों से बंद कमरे में कागजी घोड़े दौड़ रहे कृषि उपज मण्डी कर्मचारियों के भावांतर के तहत खरीदी बिक्री में पसीने छूट रहे हैं। व्यापारियों से सांठगांठ के चलते व्यक्तिगत हित प्रभावित होता देखा, गोदाम व प्रतिदिन जांच की औपचारिकता चल रही है। आलम ये हैं कि जानकारी के बाद भी मण्डी अमला गड़बड़ी पकडऩे में फेल साबित हो रहा है। दूसरी ओर उमरिया कृषि उपज मण्डी में किसान व व्यापारी पहले ही फिक्सड बोली का आरोप लगा चुके हैं। दो दिन पहले मानपुर व चंदिया में शुरू हुई उपमण्डियों में तीसरे दिन सन्नाटा पसरा रहा जबकि कई लोग जानकारी के अभाव में अभी भी सीधे उपज व्यापारियों को ही दे रहे हैं।
शुरूआत की औपचारिकता, तीसरे दिन सन्नाटा
निर्धारित आठ उपज का वाजिब मूल्य किसानों को दिलाने जिले में शुरू हुई भावांतर भुगतान योजना जहां किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। कलेक्टर की मेहनत पर लापरवाह व कामचोर मण्डीकर्मी तथा व्यापारियों की सांठगांठ पानी फेरने पर तुले हुये हैं। योजना के वास्तविक लाभ यह समस्या बड़ा रोड़ा बनकर उभरी है। जानकारी के अनुसार 67 किसानों ने 365.86 क्विंटल सोयाबीन, 19 किसानों ने 103.46 क्विंटल मक्का, एक किसान ने 58 किलो मूंग, 37 किसानों ने 137.85 क्विंटल उड़द तथा 14 किसानों ने 16.95 क्विंटल तिल का विक्रय भावांतर भुगतान योजना के तहत मण्डी में किया है।
भुगतान में बोरी व काट रहा बट्टा
विगत दिनों उमरिया की मण्डी में देरी से बोली लगाने पर किसान व व्यापारी सांठगांठ का आरोप मढ़ चुके हैं। आरोप है कि कुछ मण्डी कर्मचारी नामचीन व्यापारियों से मिलकर 90 फीसदी पहले से तय उपज की बोली करवाते हैं। यही नहीं किसान को भुगतान में 200 ग्राम प्रति बोरी तथा 20 रुपए का बट्टा काटते हैं। यही नहीं मण्डी में विक्रय कर भुगतान निजी प्रतिष्ठान में कर रहे हैं, जहां आसानी से किसान को भ्रमित कर उनका हक मारा जा रहा है।
इनका कहना है
उमरिया, मानपुर में तीसरे दिन की खरीदी निल थी। उमरिया में किसान उपज लेकर आये थे। विगत सूचना पर एक व्यापारी के यहां जांच की गई थी। वहां मसूर की फसल अनुज्ञा पत्र अनुसार की गई है।
शाहिर खान, सचिव कृषि उपज मण्डी उमरिया ।
Created On :   17 Nov 2017 1:53 PM IST