सीताजी के पैर पखारती है पूरी बस्ती ,119 साल से चल रही परंपरागत रामलीला 

Sitajis foot holds the entire colony, invites - traditional Ramlila has been running for 119 years
सीताजी के पैर पखारती है पूरी बस्ती ,119 साल से चल रही परंपरागत रामलीला 
सीताजी के पैर पखारती है पूरी बस्ती ,119 साल से चल रही परंपरागत रामलीला 

डिजिटल डेस्क,उमरिया। शारदीय नवरात्र में यहां 119 सालों से चली आ रही परंपरागत रामलीला को लोग जीवंत रूप में जीते हैं। राम जन्मोत्सव में घर-घर बधाई बजती हैं। विवाह में बारात का स्वागत, सत्कार व स्वल्पाहर स्वयं नगर के लोग कराते हैं पूरी बस्ती के लोग माता सीता के पैर उसी श्रद्धा और उत्साह के साथ पखारते हैं । यह सब कुछ एक शताब्दी से होता चला आ रहा है। इसकी ख्याति का अंदाजा इसी बात से चलाया जा सकता है कि आज भी श्रीराम की महिमा का मंचन देखने बहराधाम में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं। वर्तमान में आदर्श मानसकला मण्डली जिला सतना के कलाकार अभिनय पेश कर रहे हैं। 

बस्ती में नियम से भेजा जाता है बारात का निमंत्रण

लीला प्रारंभ होने के पहले मंच में मुकुट पूजन के साथ ही वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ घट स्थापना होती है। मान्यता है कि सौ वर्षों से इस परंपरा में भगवान  राम कहीं न कहीं किसी रूप विद्वमान रहते हैं। फिर लगातार 15 दिनों तक उनकी महिमा का मंचन होता है। श्रीराम जन्म होते ही घर-घर गाजे-बाजे से बधाव संगीत बजाने की परंपरा है। फिर श्रीराम की बारात एक निर्धारित जगह में ठहरती है। वहां अगुवानी से लेकर स्वागत फिर गाजे-बाजे के साथ प्रस्थान होता है।  श्रद्धालु विधि विधान से बेटी के ब्याह की भांति प्रभू श्रीराम व माता सीता की पांव पखरी करते है। श्रीराम के तिलक, शादी श्रद्धालु हर हाल में शामिल होते हैं। 

दशकों पूर्व मशाल के उजाले में होती थी प्रभू की लीला

नगर में प्रभू की लीला को लेकर लोगों के समर्पण को इसी बात से समझा जा सकता है कि जब शुरुआती दशकों में बिजली नहीं थी, तब व्यापारियों ने आपसी सहमति से रुपए एकत्र कर मशाल का प्रबंध किया। फिर पूरे 15 दिन इनमे आग जलाकर कलाकार  मंचन करते थे। लोगों की आस्था को देखते हुए पूर्व विधायक अजय सिंह के दादा लाल हरवंश प्रताप सिंह ने बहरा धाम में अपनी दो एकड़ से अधिक जमीन दान कर दी, जहां आज यह प्रस्तुति होती है। 

Created On :   5 Oct 2019 5:28 PM IST

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