कपास के दाम में मामूली गिरावट, आवक में भी कमी

Slight drop in cotton prices, decrease in arrivals
कपास के दाम में मामूली गिरावट, आवक में भी कमी
वर्धा कपास के दाम में मामूली गिरावट, आवक में भी कमी

डिजिटल डेस्क, वर्धा। इस बार कपास पर बोंड इल्ली व बोंडसर का प्रकोप होने से कपास का उत्पादन घटने का अंदाजा जताया जा रहा है। दिसंबर माह में ही बाजार में कपास की आवक धीमी होने का दिखाई दे रहा है। गत सप्ताह की तुलना में कपास के दाम सौ रुपए से डेढ़ सौ रुपए प्रति क्विंटल से घट गए हैं। 20 दिसंबर को जिले की कृषि उपज बाजार समिति में निजी व्यापारियों ने कपास की खरीदी प्रति क्विंटल 8 हजार 300 से 8 हजार 600 रुपए के दाम से की है। गत सप्ताह में कपास के दाम 8 हजार 800 रुपए प्रतिक्विंटल तक था। फिलहाल कपास के दाम में मामूली गिरावट होने पर भी आगामी दिनों में यह दाम बढ़ने की बात कही जा रही है।

जिले के किसान बड़े प्रमाण में कपास का उत्पादन लेते हैं, लेकिन गत दो वर्ष से पास की फसल पर बोंड इल्ली का प्रकोप बढ़ने से किसान परेशान हुआ है। इस कारण अनेक किसानों ने कपास की फसल की ओर अनदखी कर सोयाबीन की फसल लेने की ओर किसानों का झुकाव बढ़ा है। एेसा होने पर भी केवल सोयाबीन की फसल पर किसान एक साल का आर्थिक नियोजन नहीं कर सकते। नवंबर में बाजार में कपास की आवक अच्छी थी। दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में कपास की आवक धीमी पड़ गई है। साधारणत: चार से पांच वर्ष पूर्व मार्च माह तक किसानों का कपास चुनने का काम शुरू रहता था। इस कारण जिले के अनेक किसान प्रति एकड़ 15 क्विंटल तक कपास का उत्पादन लेते थे, लेकिन इस बार बोंड इल्ली व बोंडसड के कारण कपास का उत्पादन घट गया है। किसानों को प्रति एकड़ 3-4 क्विंटल उत्पादन हुआ है। इस बार कपास को अच्छे दाम मिलने पर भी उत्पादन अल्प होने से किसानों की नुकसान भरपाई नहीं होगी।फिलहाल बाजार में निजी व्यापारियों की ओर से कपास को प्रति क्विंटल 5 हजार 500 रुपए दाम दिए जा रहे हैं। अनेक किसानों ने आगामी दिनों में कपास के दाम बढ़ेंगे। इस आशा से कपास घरों में ही जमा रखा। इस बार जिले में अन्य फसलों की तुलना में कपास की बुआई का प्रमाण अधिक है। शुरुआत में कपास की फसल अच्छी तरह बढ़ रही थी, लेकिन सितंबर माह में हुई बारिश के कारण कपास की फसल का बड़े प्रमाण में नुकसान हुआ।  बारिश के कारण कपास के पैधों में लगे बोंड सड़ गए। इस दौरान नवंबर माह में बोंड इल्ली ने कपास पर हमला किया। इस कारण किसानों को केवल दो बार कपास चुनने का समय मिलने से अच्छे दर्जे का कपास हाथ लगा। 

इसके बाद नए से आए बोंड में इल्ली का प्रकोप दिखाई देने से उत्पादन घटता देख अनेक किसानों ने अपनी कपास के खड़ी फसल को जानवरों के हवाले कर दिया। बोंड इल्ली व बोंड सड़ने के कारण इस बार कपास का उत्पादन घटा है। परिणामस्वरूप किसानों का बड़े प्रमाण में नुकसान हुआ है। इस आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है, उन्होंने कपास की फसल हटाकर चना और कुछ किसानों ने ग्रीष्मकालीन प्याज की बुआई की है।

Created On :   22 Dec 2021 7:03 PM IST

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