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SECL ने छह माह में प्रदेश सरकार को लगाया 29 करोड़ का फटका
डिजिटल डेस्क उमरिया । एसईसीएल की कुदरी कोयला खदान में हर माह अवैध कोयला परिवहन कर सरकार को करोड़ों का फटका लगाया जा रहा है। यह खुलासा उमरिया में एक कोयला लोड ट्रक की जांच में उजागर हुआ। मामले के वृहदतम स्तर को देखते हुए अब भोपाल खनन मंत्रालय को जांच का प्रस्ताव भेजा गया है। जांच रिपोर्ट अनुसार कुदरी खदान में औसतन एक माह में 2 करोड़ 85 लाख की रायल्टी चोरी होती है। छह माह की जांच में 29 करोड़ 97 लाख खनिज चोरी पकड़ी जा चुकी है।
ऐसे हुआ पर्दाफाश
मामले का खुलासा पिछले साल 25 जुलाई को नौरोजाबाद कुदरी तिराहा के पास पकड़े गये ट्रक से हुआ। वाहन क्रमांक एमपी 34जी 0433 कोयला परिवहन ट्रक की जांच में दस्तावेजों की कमी मिली। परिवहनकर्ता चालक गंगाराम गडारी, सतकरतार खनिज लिमिटेड कंपनी, सुपरवाईजर मुन्नू सिंह को नोटिस भेजकर तलब किया गया। माइनिंग विभाग ने पिछले छह माह परिवहन वाहनों की जांच व मात्रा की जानकारी भी मांगी। इस दौरान वैध से ज्यादा अवैध वाहनों से परिवहन का भण्डाफोड़ पकड़ा गया।
एक वाहन से 1 करोड़ 40 की अवैध कमाई
मिली जानकारी अनुसार जनवरी से जुलाई 2017 कार्रवाई समय के दौरान पकड़े गये डंपर ने 631 ट्रिप कोयला परिवहन किया। वाहन ने 9354.26 मी. टन कोयला खदान से साइडिंग पहुंचाया। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर यह अवैध कोयला कहां और किसने खपा दिया। बता दें कि कुदरी खदान से स्टीम व स्लैक प्रकार का कोयला निकलता है। शासन के अनुबंध अनुसार एक मी. टन की कीमत 32 हजार तथा अवैध में यही माल 15 सौ रुपए में खप जाता है। यानि एक अवैध डंपर ने सरकार को एक करोड़ 40 लाख की चपत लगा दी।
छह माह में 29 करोड़ की काली कमाई
अवैध कोयला परिवहन का खेल यही तक नहीं नहीं थमता। जांच के दौरान पिछले छह माह की जानकारी देखने पर इसके वहृद होने का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल था। कुदरी कोल माइंस से अलग-अलग ट्रांसपोर्टरों ने 2 हजार 174 ट्रिप कोयला वैध परिवहन किया। वहीं अवैध कोयले की जांच में एक हजार 353 ट्रिप वाहन निकले। यानि छह में 19 हजार 980.92 मी. टन कोयला चोरी से निकाला गया। सूत्रों के मुताबिक 15 सौ की बाजारु दर से यह कीमत तकरीबन 29 करोड़ 97 लाख रुपए कम से कम आंकी जा सकती है।
भोपाल भेजा प्रस्ताव
सूत्रों की जानकारी अनुसार नौरोजाबाद नगर से लगी कुदरी अण्डर ग्राउण्ड खदान में चोरी का यह मामला महाप्रबंधक कार्यालय से महज कुछ दूर ही चल रहा था। इस पूरे खेल में रायल्टी जारी होने से लेकर कांटा बाबू से लेकर उच्च स्तर तक काली कमाई का हिस्सा पहुंचता है। यही कारण है कि व्यापक स्तर पर हर माह प्रदेश सरकार को रायल्टी की चपत लगाई जा रही है।
इनका कहना है
रायल्टी का डिस्पैच देखकर भुगतान होता है। टीपी से कोई भुगतान नहीं होता, न ही रायल्टी व डिस्पैच का कोई कनेक्शन होता है। हमने इसकी शिकायत कोर्ट मे भी की है। खनिज विभाग टीपी के संबंध में गलत फहमी पालकर बैठा है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
ओपी कटारे, जीएम जोहिला एरिया नौरोजाबाद।
Created On :   9 Jan 2018 1:56 PM IST