दुर्गम पहाड़ी के बीच शिक्षा की अलख जगा रहा शिक्षक ,घर-घर स्कूल अभियान 

Teacher awakening education amidst inaccessible hills, door-to-door school campaign
दुर्गम पहाड़ी के बीच शिक्षा की अलख जगा रहा शिक्षक ,घर-घर स्कूल अभियान 
दुर्गम पहाड़ी के बीच शिक्षा की अलख जगा रहा शिक्षक ,घर-घर स्कूल अभियान 

डिजिटल डेस्क उमरिया । करकेली विकासखंड में नौरोजाबाद जनशिक्षा केन्द्र अंतर्गत दुर्गम पहाड़ी के बीच महोबादादर गांव बसा है। 600 से अधिक आबादी वाले आदिवासी बाहुल्य गांव में बिजली नहीं है। सोलर सिस्टम का सहारा है। विषम परिस्थितियों के बीच एक शिक्षक बच्चों में शिक्षा की अलग जगा रहा है। 
पाली व नौरोजाबाद से तकरीबन 25-30 किमी दूर महोबादादर गांव जंगल के बीच में व ऊंची पहाड़ी पर बसा है। विषम भौगोलिक परिस्थिति व संसाधनों के अभाव के चलते यहां का प्राथमिक विद्यालय शिक्षक विहीन रहता था। बच्चों को शिक्षा से जोडऩा विभाग के लिए चुनौती थी। संकुल प्राचार्य की पहल पर इशनपुरा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मंगलचंद मानिकपुरी ने यह चुनौती सहर्ष स्वीकारी। 6 जुलाई से अभियान की शुरुआत की। विद्यालय में दर्ज 36 बच्चों के अभिभावकों से संपर्क किया। फिर 6 समूह में 6-6 बच्चों को बांटा। अब प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक डिजीलेप (कोर्स बुक, पाठन सामग्री) के माध्यम से कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। 
पहले अभिभावकों को किया राजी 
गांव की ज्यादातर आबादी गोंड समुदाय की है। प्रारंभ में उनके मोबाइल का सहयोग मिला पर धीरे-धीरे लोग खेत व काम की तलाश में घर से बाहर रहने लगे। ऐसे में नियमित पढ़ाई कराना कठिन हो गया। शिक्षक ने अभिभावकों से बात कर बच्चों को नियमित अध्यापन के लिए भेजने को राजी किया। उनकी मदद के लिए 70 वर्षीय सुखलाल गोंड भी आगे आए। वे सभी समूह के बच्चों व तैनात वालेंटियर पर नजर रखते हैं। 10 वीं में अध्ययनरत यशोदा परस्ते, 8वीं के छात्र नील सिंह, छात्रा सुशीला सिंह भी इस कार्य में सहयोग करते हैं। 
बच्चों से सीधा संवाद
मैंने इस अभियान के लिए जून व जुलाई में ऑनलाइन प्रशिक्षण लिया था। शुरू में बच्चे नहीं आते थे, अभिभावकों के साथ खेत जाते थे। मैंने बच्चों से सीधा संबंध बनाया। विभाग के दिशा निर्देश पर अभियान निरंतर जारी रखा है।
-मंगलचंद मानिकपुरी, शिक्षक
दूसरों के लिए प्रेरणा 
वह शिक्षक उस स्कूल का न होते हुए भी उसने अभियान की चुनौती स्वयं आगे आकर संभाला। अकेला होने के बाद भी हार नहीं मानी। स्थानीय लोगों को तैयार कर अभियान संचालित किया। विभाग के अन्य शिक्षक भी प्रेरित हो रहे हैं।
-सुशील मिश्रा, एपीसी उमरिया
 

Created On :   20 July 2020 6:27 PM IST

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