शहरों पर बढ़ रहा है संस्थागत प्रसव का दबाव : गौरी सिंह

The pressure of institutional delivery on the cities is increasing
शहरों पर बढ़ रहा है संस्थागत प्रसव का दबाव : गौरी सिंह
शहरों पर बढ़ रहा है संस्थागत प्रसव का दबाव : गौरी सिंह

डिजिटल डेस्क,भोपाल। प्रदेश में संस्थागत प्रसव का सर्वाधिक दबाव सरकारी जिला चिकित्सालयों एवं शहरी स्वास्थ्य संस्थाओं पर बना है। इससे जिला चिकित्सालय एवं शहरी संस्थाओं में अव्यवस्था, गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव एवं अप्रिय  विवादों की स्थिति भी बन रही है। जबकि राज्य सरकार ने सामान्य प्रसव के लिए अनेक प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्रों को भी विकसित किया हुआ है जिनकी निष्क्रियता के कारण शहरों में संस्थागत प्रसव का दबाव बना है। ये बातें स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के सभी क्षेत्रीय संचालकों, सीएमओ और अस्पताल अधीक्षकों को भेजे अपने ताजा शासकीय पत्र में कही है।

गौरतलब है कि प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने संस्थागत प्रसव के लिए तीन लेवल की सुविधाएं विकसित की हुई हैं। लेवल तीन के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलिवरी की भी सुविधा रहती है जिनमें सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पताल, जिला अस्पताल आदि आते हैं। लेवल दो के अंतर्गत सिजेरियन डिलिवरी तो नहीं होती,लेकिन उन्नत प्रसव सुविधाएं रहती हैं जिनमें सामुदायिक आदि अस्पताल आते हैं। लेवल एक के अंतर्गत सामान्य प्रसव होते हैं जिनमें प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।

प्रमुख सचिव गौरी सिंह का अपने पत्र पर जोर लेवल एक यानि एल वन के प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्रों पर है जो कि विभिन्न कारणों से निष्क्रिय पड़े रहते हैं। इसके उन्होंने कारण बताए हैं कि एल वन अस्पतालों में संबंधित अमला मुख्यालय पर नहीं रहता है। अस्पताल भवन एवं बुनियादी सुविधा के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सेक्टर मेडिकल ऑफिसर, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर द्वारा संस्थागत प्रसव के विषय की मानीटरिंग में रुचि नहीं ली जा रही है। इन अस्पतालों में पदस्थ एसबीए प्रशिक्षित अमले, एलएचवी/स्टाफ नर्स/प्रशिक्षित एएनएम की अन्यत्र पदस्थापना कर दी गई है। इन केंद्रों पर आवश्यक अमले, सामग्री, जांचें एवं दवाईयों की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

इन केंद्रों में सामान्य प्रसव कराने के लिए उपलब्ध सुविधा के प्रचार-प्रसार में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा आशा कार्यकर्ता का सक्रिय सहयोग नहीं लिया जाता है। इन केंद्रों में एएनसी चैकअप एवं गर्भवती महिला के लिए स्वास्थ्य शिक्षा के विषय को गंभीरता से नहीं लिया गया है। जिन एल वन के केंद्रों के कार्यक्षेत्र से सामान्य प्रसव के प्रकरण जिला चिकित्सालय या अन्य शहरी संस्थाओं में आ रहे हैं उनका विश्लेषण कर जिला स्तर पर सुधारात्मक कदम भी नहीं उठाए गए हैं।

प्रमुख सचिव ने कहा है कि सामान्य प्रसव को चिन्हांकित एल वन स्वास्थ्य संस्थाओं में ही कराने पर आम जनता को तो सुविधा होगी ही, साथ ही 108 एंबुलेंस सेवाओं एवं शहरी स्वास्थ्य संस्थाओं पर दबाव की स्थिति में कमी आएगी, जिससे शहरी संस्थाओं में प्रदाय की जा रही सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा अप्रिय विवादों की स्थिति निर्मित होने से भी बचा जा सकेगा। इसलिए एल वन अस्पतालों को चुस्त-दुरुस्त किया जाए।

क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक डॉ. मोहन सिंह का कहना है कि प्रमुख सचिव की हिदायतों का पालन किया जाएगा, लेकिन कुछ तथ्य ये हैं कि निरक्षरता या पढ़े-लिखे होने के बावजूद कई लोग गर्भवती महिलाओं की देखरेख में लावरवाही बरतते हैं। उन्हें पहली बार में ही बता दिया जाता है कि प्रसव किस तिथि को होगा तथा गर्भवती महिला हाई रिस्क में है या नहीं और उन्हें प्रसव किस लेवल के अस्पताल में कराना चाहिए। इसके बावजूद अंतिम समय तक इंतजार किया जाता है जिसके कारण डिलेवरी रास्ते में या वाहन में ही हो जाने के प्रकरण सामने आते हैं।

 

Created On :   4 Nov 2017 12:07 PM IST

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