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चौरासी कोस की परिक्रमा में निकले संतों का राय हनुमान मंदिर में स्वागत

डिजिटल डेस्क, पहाडीखेरा । हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाले व चर्चित चौरासी कोसीय परिक्रमा में देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में आये साधु-संत परिक्रमार्थियों का जत्था बुधवार सूरज निकलने के साथ पहाडीखेरा के समीप राय हनुमान मंदिर पहुुंचा। जहां पहाडीखेरा व क्षेत्रवासियों द्वारा फूल-मालाओं से स्वागत किया गया तत्पश्चात भजन, प्रवचन व प्रसाद वितरण कर सभी के द्वारा आर्शीवाद प्रदान किया गया। बताते चलें कि साधु-संतों द्वारा तीर्थस्थलों की सृश्रत पहचान व उसकी परम्पराओं को जनमानस में अध्यात्मिक संस्कारों को बनाए रखने के लिए तीर्थ क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण कर उसकी परिक्रमा करने का विधान रखा गया था। पौराणिक मान्यताओं पर गौर करें तो भगवान श्रीराम को १४ वर्षों के वनवास के दौरान भरत अयोध्या से पैदल चलकर चित्रकूट भगवान श्रीराम को वापिस अयोध्या लेने आए थे पर श्रीराम द्वारा पिता के वचनों का पालन करने के लिए चौदह वर्ष तक जंगल में ही रहने का निश्चय किया था तब भरत निराश होकर चित्रकूट के अंतर्गत आने वाले धार्मिक स्थानों की चौरासी कोसीय परिक्रमा की थी तब से ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य चौरासी कोसीय परिक्रमा कर लेता है उसके उपरांत चौरासी लाख यौनियां नहीं भुगतनी पडती है। परिक्रमा संचालक गोविन्द दास महाराज ने बताया कि चौरासी कोसीय परिधि के अंदर सैकडों धार्मिक स्थल आते हैं जोकि चित्रकूट की सांस्कृतिक सीमाओं में हैं। इन धार्मिक स्थलों पर पूजन-हवन करने से जीव मात्र को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रत्येक वर्ष ४६५ किलोमीटर यानि चौरासी कोसीय परिक्रमा की शुरूआत फाल्गुन मास की अमावस्या से कामदगिरि परिक्रमा के साथ की जाती है जो एक माह तक चित्रकूट के चौरासी कोस की परिधि में आने वाले पौराणिक स्थलों से गुजरती है। उसके बाद चित्रकूट स्थित स्वामी मत्स्य गजेन्द्रनाथ महाराज का पूजन कर चौरासी कोसीय परिक्रमा का समापन किया जाता है। उपस्थित भक्तों में इंद्रमणि गर्ग, अयोध्या प्रसाद तिवारी, रामशिरोमणि मिश्रा, वीरेन्द्र कुमार गौतम, विजय गुप्ता, कैलाश जडिया, पुष्पेन्द्र पाण्डेय, लक्ष्मीकांत गर्ग, डॉ. अशोक सिंह, रामभुवन गर्ग, विनीत गर्ग, संतु गर्ग, श्रीराम गर्ग, नत्थू यादव, देवी सिंह यादव, कैलाश रैकवार, चौकी प्रभारी गिरिजाशंकर वाजपेयी, पत्रकार हरिशंकर पाण्डेय सहित अन्य भक्त उपस्थित रहे।
Created On :   24 March 2022 11:48 AM IST