Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में प्रत्यारोपण नीति बिना ही स्थानांतरित किए जा रहे पेड़, पीडब्ल्यूडी की भोजपुर फोरलेन सड़क निर्माण के लिए 448 पेड़ों के स्थानांतरण पर आपत्ति

मध्यप्रदेश में प्रत्यारोपण नीति बिना ही स्थानांतरित किए जा रहे पेड़, पीडब्ल्यूडी की भोजपुर फोरलेन सड़क निर्माण के लिए 448 पेड़ों के स्थानांतरण पर आपत्ति

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भोपाल के भोजपुर रोड पर पीडब्ल्यूडी विभाग के 448 पेड़ों की शिफ्टिंग पर सवाल खड़े हो गए हैं। मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तरह पेड़ों को लेकर स्थानांतरण नीति नहीं है। पेड़ कटाई को लेकर नीति बनाई गई है जिसमे 25 पेेड़ काटने पर सीईसी की अनुमति लेनी होती है। 11 मील से बांगरसिया और फिर भोजपुर तक बनने वाली सड़क में 1377 पेड़ हैं। जिसमें 900 के करीब पेड़ काट दिए गए। जिसपर एनजीटी ने याचिका पर बाद में रोक लगाई। अब रायसेन एडीएम ने 448 पेड़ों को शिफ्ट करने की अनुमति दे दी। जिसमें करीब 65 लाख का खर्चा होगा। पर्यावरण जानकारों के अनुसार पेड़ शिफ्ट करने से पहले पेेड़ सुरक्षित रहने और जीवित रहने की जानकारी होनी चाहिए।

पर्यावरण मित्र नितिन सक्सेना ने बताया कि इस तरह विस्थापन से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा। संतुलन बिगडे़गा। करीब 49 करोड़ की ग्यारह मील तिराहे से बनने वाली 13 किलोमीटर की पीडब्ल्यूडी द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण में आपत्ति है । पर्यावरण प्रेमी सवाल खड़े कर रह रहे कि क्या पेड़ शिफ्टिंग की कोई आधिकारिक नीति है। स्थानांतरण के लिए कई पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत होती है। लिहाजा जहां पेड़ों की शिफ्टिंग की जा रही क्या वहां की मिट्‌टी उस पेड़ के लिए उपयुक्त है। कितने दिनों तक पेड़ों की देखभाल की जाएगी। अगर पेड़ खराब होता है तो उसके बदले क्या किया जाएगा। बताया ये भी जा रहा है कि विकास के नाम पर जहां पेड़ो को काटा गया या शिफ्ट किया जा रहा उस सड़क पर ऐतिहासिक डैम भी बना है। जिसकी वजह से वहां एक किलोमीटर के दायरे में निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। संरक्षित डैम को इससे खतरा है। बताया जा रहा शिफ्ट करने वाले पेड़ों के ठूठ लगाए जा रहे।सड़क निर्माण का कुछ हिस्सा भोपाल तो कुछ रायसेन जिले में आता है। पर्यावरण मित्रों ने सड़क निर्माण में कटने वाले पेड़ों और शिफ्टिंग को लेकर याचिका लगाई है।

25 पेड़ों के काटने पर सीईसी लेती है निर्णय

सितंबर 2025 में, अतिरिक्त मुख्य सचिव (नगरीय विकास एवं आवास) संजय दुबे की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय सीईसी का गठन किया गया। समिति के कार्यक्षेत्र में मध्य प्रदेश में 25 से ज़्यादा पेड़ों को काटने की अनुमति देना शामिल है, जिसके नियमों में जियो-टैगिंग, पाँच साल तक पौधों की निगरानी और प्रत्येक गिरे हुए पेड़ के लिए ऑक्सीजन की कमी का आकलन शामिल है। इन नियमों में पेड़ों के प्रत्यारोपण या स्थानांतरण का कोई ज़िक्र नहीं है।

क्या अन्य राज्यों की तरह है मप्र में प्रत्यारोपण निति

दिल्ली, तेलंगाना और गुजरात जैसे राज्यों में पेड़ प्रत्यारोपण नीतियां और पुनर्वास के लिए नियम हैं। वहीं मध्य प्रदेश में इस तरह के बड़े पैमाने के कार्यों के लिए बुनियादी ढाँचे और विशेषज्ञता का अभाव है। दिल्ली की 2020 वृक्ष प्रत्यारोपण नीति के अनुसार प्रत्यारोपित वृक्षों का 80% जीवित रहना अनिवार्य है, जबकि गुजरात में उपयुक्त मौसम में किए जाने पर चुनिंदा प्रजातियों के वृक्षों के लिए 85% तक सफलता की रिपोर्ट है।

Created On :   3 Nov 2025 3:13 PM IST

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