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बाघिन को सामने देख नहीं डरा युवक , शोर कर बचा ली खुद और पत्नी की जान

डिजिटल डेस्क उमरिया। बाघ जैसा खुंखार जानवर, शाम का अंधेरा और जंगल के कच्चे रास्ते का सफर, ऐसे समय में किसी के सामने यदि अचानक बाघ आ जाए, तो कल्पना मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मानो साक्षात मौत के देवता यम के दर्शन हो रहे हैं। इतने खतरे के बाद भी गढ़पुरी के 30 वर्षीय राममिलन बैगा पिता गनपत ने न सिर्फ अपनी जान बचाई। बल्कि पत्नी मीरा बाई व एक अन्य साथी रज्जन को भी सुरक्षित कर अदम्य साहस व बांधवगढ़ में बाघों व आदिवासी समुदाय के समन्वय की मिशाल पेश की।
मंगलवार को जिला अस्पताल में गढ़पुरी निवासी राममिलन बैगा पत्नी मीरा के साथ अस्पताल में भर्ती है। उसके दाहिने हाथ पत्नी पत्नी के बाए में बाघिन हमले के चलते नाखून के निशान थे। डॉक्टर ने बताया दोनों खतरे से बाहर व स्वस्थ्य हैं। साधारण सी कद काठी महज 30 वर्ष के इस आदिवासी युवक ने बचपन में गिनती के दिन ही स्कूल का मुंह देखा है। युवक ने बताया सोमवार को वह पत्नी को लेकर उसके मायके रक्षाबंधन मनाने गए थे। शाम को कुछ देर हो गई। खितौली रेंज के गढ़पुरी बीट में तकरीबन 6-7 बजे थे जब वे लोग गढ़पुरी बैरियर से निकलकर आगे बढ़े। तकरीबन सौ मीटर दूर आरएफ 369 में जाते ही अचानक मोड़ से कुछ दूर एक बाघ दिखा इससे पहले की कुछ कर पाते उसने उन्हें सामने देख झपट्टा (मॉक ड्रिल) मार दिया। गाड़ी रज्जन चला रहा था उसे कम चोट आई पर तीनों जमीन में गिर पड़े। गाड़ी की लाइट जल रही थी। फिर भी बाघिन टस से मस नहीं हुई। तीनों ने एक दूसरे का सहारा पाकर खड़े हुए। फिर उससे नजरें मिलाकर तेज आवाज निकालनी शुरू कर दी। जंगल के बीच तकरीबन 15-20 मिनट इन्होंने हार नहीं मानी। आखिरकार बाघिन ने सब कुछ सामान्य पाकर वहां से जंगल की तरफ मुड़ गई। जान हलाकान में फंसा देने वाला यह किस्सा भले ही अविश्वसनीय लगे। पर आदिवासी युवक ने बताया वे और उसके पुरखे सालों से यह नुस्खा आजमाते आ रहे हैं। दिनरात 24 घंटे में से 22 घंटे वे लोग घर की बाड़ी, मवेशी व पानी के पास बाघों के साथ रहते हैं। यह बचाव का तरीका अक्सर मवेशी चराने से लेकर जंगल में जाने पर आजमाते रहते हैं।
Created On :   5 Aug 2020 3:16 PM IST