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बाघों की सुरक्षा ताक पर, धूल खा रहा केबिल इंसुलेट का प्रस्ताव, सरकार से जवाब तलब
डिजिटल डेस्क उमरिया। घुनघुटी-बीटीआर में अभी तक आधा दर्जन बेमौत मारे जा चुके वन्यजीवों के बाद भी वन विभाग जागा नहीं है। संवेदनशील क्षेत्रों में खूफिया नेटवर्क विकसित करने, जनसंवाद, छानबीन व निगरानी जैसे आवश्यक प्रस्ताव पर एक बार फिर शीर्ष महकमा चुप्पी थामे बैठा है। मुख्यालय से भेजे जा रहे प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में डाले जा रहे हैं। दूसरी ओर सर्किल में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में वन्यजीव प्रेेमियों द्वारा भोपाल में एनटीसी से इस संबंध में शिकायत भी हुई है।बांधवगढ़ में पनपथा, धमोखर सहित अन्य क्षेत्रों मे करंट की शिकार से घटनाओं को देखते हुए जंगल से गुजरी केबिल को इंसुलेट का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। एमपीईबी के मुताबिक 4-5 साल पहले बीटीआर की ओर से उन्हें अण्डर ग्राउण्ड वायरिंग का प्रस्ताव मांगा गया था। उस समय इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 30 करोड़ आंकी गई थी। चूंकि यह कार्य उन्हीं को करना था, आज भी न तो इसकी स्वीकृति मिली, न ही अमल हो पाया।
शिवेन्द्र सिंह बघेल, डीई उमरिया के अनुसार हमसे 3-4 साल पहले अण्डर ग्राउण्ड केबिल व वायर इंसुलेट करने का प्रस्ताव बीटीआर मंगवाया गया था। उस समय उस प्रोजेक्ट की कीमत 30 करोड़ थी। सामान्य वन मण्डल से ऐसे कोई प्रस्ताव व निर्देश नहीं मिले। राज्य शासन से बजट व प्लान मांगने पर इस पर कार्य किया जायेगा।
कई बार भेजा है प्रस्ताव
आईबी गुप्ता, एसडीओ उमरिया ने बताया कि रेगुलर फारेस्ट में टाईगर रिजर्व के मुकाबले वन्यजीवों पर निगरानी का तंत्र कमजोर है। बजट व अन्य आवश्यक संसाधनों के लिए हमने लगातार शीर्ष स्तर पर पत्राचार किया है। जंगलों में वायर इंसुलेट की मांग भी पूर्व में की जा चुकी है।
शिकायत में आरोपित किया गया है कि वर्ष 2017 में प्रदेश के भीतर सर्वाधिक बाघ व तेंदुए मारे जा रहे हैं। फिर भी वन विभाग सुरक्षा को लेकर नये प्लान अमल में नहीं ला रहा। एटीसीए से हुई शिकायत में मप्र. सरकार से जवाब भी मांगा गया है। उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ में गत वर्ष एक बाघिन पनपथा रेंज में करंट से मारी गई थी। इसके अलावा घुनघुटी रेंज में बाघिन व शावक, उमरिया रेंज के पठारी व मरदरी इलाके में तेदुओं का करंट से शिकार हो चुका है।
इनका कहना है
प्रदेश के सभी क्षेत्रीय वन मण्डलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे लोग टाईगर लोकेट होते ही एलर्ट रहें। इसके अलावा टाईगर रिजर्व की भांति सुरक्षा, निगरानी, पेट्रोलिंग कैम्प तथा वन्य जीवों के लिए पानी की व्यवस्था करें। करंट से हुई मौतों को लेकर सुरक्षा से जुड़े अन्य संसाधनों पर विचार किया जा रहा है।
आलोक कुमार, एपीसीसीएफ वाईल्ड लाइफ भोपाल।
Created On :   30 Jan 2018 1:39 PM IST