4 साल बाद भी अधर में लटका ट्रामा यूनिट

Trauma center building under construction from 4 years
4 साल बाद भी अधर में लटका ट्रामा यूनिट
4 साल बाद भी अधर में लटका ट्रामा यूनिट

डिजिटल डेस्क  कटनी। जिला अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन 4 करोड़ 39 लाख की ट्रामा यूनिट बिल्डिंग अधर में है। ड्राइंग में लगभग 5 मर्तबा हेरफेर से निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। 28 जून 2013 को बजट की प्रशासकीय स्वीकृति के बाद निर्माणा अवधि 18 माह का अनुबंध निर्माणी एजेंसी से किया गया था। इस अनुबंध की समय सीमा से लगभग 4 वर्ष 3 माह का समय बीत चुका है। निर्माण अधर में है। खामियाजा अस्पताल प्रबंधन और मरीज व उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। कभी तो प्रबंधन का जनाक्रोश से भी सामना होता है। मद्देनजर जनप्रतिनिधियों तथा जिला प्रशासन से यूनिट भवन निर्माण में तेजी के लिए आम जनता ने अपेक्षाएं की हैं।
मौजूदा व्यवस्थाएं
वर्तमान में अस्पताल के 4 मेल फीमेल जनरल वार्डों में बिस्तरों की संख्या 48 है। जबकि इलाजरत भर्ती मरीजों की संख्या 75 से 80 रहती है। बिस्तर के अभाव की वजह से चिकित्सक व स्टॉफ नर्सों को फर्श पर मरीजों का इलाज करना पड़ता है। वार्ड से बाहर गैलरी में भी फर्श अथवा अतिरिक्त बेड लगाने पड़ते हैं। जनरेटर की पर्याप्त व्यवस्था न होने से मरीजों का बुरा हाल हो जाता है।
और भी हैं बदइंतजामी
ओपीडी के सामने आवागमन परिसर में संकीर्ण जगह पर पर्ची काउंटर बना है। रोजाना 250 से 300 विभिन्न रोगों से परेशान मरीजों की भीड़ उमड़ती है। काउंटर भी 3 हैं। ओपीडी में दुर्घटना या फिर गंभीर परिस्थिति में स्ट्रेचर पर मरीज को ला पाना मुश्किल हो जाता है। 5 चिकित्सकों के ही व्यक्तिगत कक्ष हैं।  अन्यथा तो ओपीडी से जुड़े हॉल में एक साथ 4 से 5 चिकित्सकों को मरीजों को देखना पड़ता है। सुविधाजनक बैठक परिसर नहीं है। चिकित्सक या काउंटर में पर्ची के लिए गंभीर मरीज को फर्श पर लिटाकर परिजन नंबर आने का इंतजार करते हैं।
इसलिए बनी थी योजना
2009-10 में ऐसी तमाम विसंगतियों को दूर करवाए जाने के लिए शासन की ओर योजना प्रस्तावित हुई थी।  लोक निर्माण विभाग परियोजना क्रियान्वयन इकाई के अंतर्गत 439.04 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति में से 419.77 लाख की राशि मंजूर हुई। कांट्रेक्टर धर्मेन्द्र सोनी से हुए अनुबंध के तहत कार्य पूर्ण अवधि 18 माह और परफार्मेंस गारंटी अवधि 12 माह निर्धारित की गई थी।  लिहाजा विभागीय हीलाहवाली के चलते 4 साल बाद भी निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया है। जिला मुख्यालय के अलावा बहोरीबंद, पान उमरिया, बड़वारा, बरही, कैमोर, रीठी, बाकल, स्लीमनाबाद, निवार, तेवरी तथा समीपी पन्ना, उमरिया, अमदरा से भी मरीजों का यहां आना होता है। मद्देनजर 150 अतिरिक्त बिस्तरों की आवश्यकता और बताई जाती है।हासिल जानकारी के मुताबिक ड्राइंग में तब्दीली के अलावा 3 बार निर्माणाधीन हॉल परिसर की दीवारों में भी पार्टिशन बदला गया। मेटरनिटी प्राइवेट वार्ड और ओटी यहां बनना है। कांटेक्टर धर्मेन्द्र सोनी का कहना है कि ड्राइंग और निर्माण कार्य में परिवर्तन से कुछ विलंब हुआ। फिर भी इस साल के अंतिम माह दिसंबर तक निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। पीडीब्ल्यूडी से करीब डेढ़ करोड़ राशि का भुगतान अभी शेष है।
इनका कहना है
भवन निर्माण की ड्राइंग में तब्दीली बेहतर तकनीक और गुणवत्ता के लिए प्रशासनिक निर्देश के तहत हुई है। एजेंसी को निर्माण में तेजी लाए जाने निर्देश दिए गए हैं।
- डीके मिश्रा, अभियंता पीडब्ल्यूडी
इस संबंध में पीडब्ल्यूडी विभाग को पत्र लिखे गए हैं। कार्य योजना के अंतर्गत भवन निर्माण हो जाने पर इलाज सुविधाएं और बेहतर विस्तारित हो सकेंगी।
-डॉ. केपी श्रीवास्तव, सीएस

 

Created On :   5 Oct 2017 12:52 PM IST

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