बांधवगढ़ के बाघ शावको की इंसानों से थी दोस्ती- अब वनविहार में देंगे सेल्फी बांधवगढ़ में , माँ ने छोड़ दिया था , नहीं कर पाते शिकार

Two orphaned tiger cubs from Bandhavgarh sent to Van Vihar - could not hunt
बांधवगढ़ के बाघ शावको की इंसानों से थी दोस्ती- अब वनविहार में देंगे सेल्फी बांधवगढ़ में , माँ ने छोड़ दिया था , नहीं कर पाते शिकार
बांधवगढ़ के बाघ शावको की इंसानों से थी दोस्ती- अब वनविहार में देंगे सेल्फी बांधवगढ़ में , माँ ने छोड़ दिया था , नहीं कर पाते शिकार

डिजिटल डेस्क उमरिया।  बचपन में अपनी मां से बिछुड़कर बेसहारा हुए रंछा वाली बाघिन (टी-20) के दोनों शावक बुधवार को वन बिहार भेज दिए गए। तीन साल से अधिक की उम्र के ये दोनों भाई बहन अब वन बिहार भोपाल की शोभा बढ़ाएंगे। यह निर्णय इनके इंसानों के प्रति लगाव को देखते हुए लिया गया है। क्योंकि वर्ष 2017 में लावारिश मिलने के बाद इन्हें इंसानी देखरेख में ही पाला गया था। विशेषज्ञों की टीम ने निरीक्षण में इन्हें खुले जंगल में छोडऩा प्राणघातक बताया था। इसलिए भोपाल भेजने का आदेश जारी हुआ था।
बाघ को लगा डॉट
पार्क प्रबंधन अनुसार पहले ही इन बाघों की शिफ़्िटंग की अनुमति एनटीसीए द्वारा प्रदान कर दी गई थी। उपयुक्त मौसम को देखते हुए भोपाल से पशु चिकित्सक व अफसरों की एक टीम यहां पहुंची हुई थी। मौसम को देखते हुए इस बार रेस्क्यू ऑपरेशन सुबह से प्रारंभ हुआ। मगधी परिक्षेत्र के बेहरहा इंक्लोजर (बाड़े) में पहले पिंजरे में इन्हें भोजन परोसा गया। जैसे ही मादा बाघिन उसे खाने के लिए पहुंची, दरवाजा बंद कर कैद कर लिया गया। दूसरी तरफ नर बाघ को पिंजरे में रखने के लिए डॉटगन का सहारा लिया गया। वन्यजीव पशु शल्यज्ञ डॉ. सेंगर व भोपाल से एक्सपट्र्स की टीम ने इंजेक्शन देकर बाघ को बेहोश किया। सुरक्षित पिंजरे में रखकर वाहन के माध्यम से पिंजरे को भोपाल रवाना कर दिया गया। रात तक सागर मार्ग से ये दोनों वहां पहुंच जाएंगे।
मां ने छोड़ दिया था साथ
बता दें ये दोनों शावक रंछा वाली बाघिन टी-20 की दूसरी संतति की बेटी के थे। नवंबर 2017 में गश्त के दौरान इन्हें एक किले के पास लावारिश देखा गया था। दो दिन नजर रखने पर पता चला इनकी मां छोड़कर दूसरे मेल के साथ सहवास के लिए जा चुकी है। चूंकि शावकों की उम्र कम थी, शारीरिक रूप से भी इनकी स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए इनकी हालत को देखते हुए तत्कालीन प्रबंधन ने इन्हें बमेरा में रखने का निर्णय लिया। इस दौरान पहले दूध पिलाकर फिर मांस आदि परोसकर मां के लौटने का इंतजार हुआ। जब बाघिन नहीं लौटी तो एक वर्ष चार माह की उम्र में इन्हें बहेरहा स्थित बाड़े में शिफ्ट कर दिया गया।
इनका कहना है -
बांधवगढ़ से दो बाघों को वन विहार भेजा गया है। सुबह सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद इन्हें वाहन से रवाना भी कर दिया गया है।
विंसेंट रहीम, क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व उमरिया।

Created On :   26 Feb 2020 12:49 PM GMT

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