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उमरिया: भू-अर्जन की पुनर्व्यवस्थापन योजना तैयार
डिजिटल डेस्क, उमरिया। उमरिया मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की वर्चुअल बैठक हुई। मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया है कि भू-अर्जन के परिणामस्वरूप विस्थापन के मामले में विस्थापित कुटुम्बों के पुनर्वासन के लिये यदि ग्रामों में आंकलित आकार की शासकीय भूमि उपलब्ध है तो ऐसी शासकीय भूमि के लिये सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य के 1.6 गुणा के बराबर की राशि अपेक्षक निकाय से लेकर, उक्त भूमि पर भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के अनुसरण में पुनर्व्यवस्थापन योजना तैयार की जायेगी। जहां अपेक्षक निकाय राज्य सरकार के विभाग या उपक्रम हैं वहां ग्रामों में स्थित शासकीय भूमि बिना कोई राशि लिये उपलब्ध कराई जायेगी। भू-अर्जन के परिणामस्वरूप विस्थापन के मामले में विस्थापित कुटुम्बों के पुनर्वासन के लिये यदि शासकीय भूमि उपलब्ध नहीं है तो ग्रामों में स्थित निजी भूमियां उक्त अधिनियम प्रावधानों के अंतर्गत मध्यप्रदेश के पक्ष में अर्जित व पुनर्वास योजना के क्रियान्वयन के लिये प्राप्त की जायेंगी। इसमें भू-अर्जन की अवार्ड की राशि का भुगतान संबंधित अपेक्षक निकाय से प्राप्त की जायेगी। इस प्रकार तैयार योजना के क्रियान्वयन के लिये ऐसी चिन्हांकित भूमि पर उक्त अधिनियम की तीसरी अनुसूची अनुसार अवसंरचना के निर्माण के लिये (भूमि) अपेक्षक निकाय को योजना के क्रियान्वयन हेतु युक्तियुक्त समय के लिये आधिपत्य में दी जायेगी। ताकि अपेक्षक निकाय नियत अवधि में अवसंरचना निर्माण कर योजना के अनुसार भूखंड या मकान तथा अन्य सामुदायिक सुविधायें (उक्त अधिनियम की अनुसूची 3 में उल्लेखित समस्त मदों के लिये ) तैयार कर कलेक्टर को वापिस आधिपत्य सौंपे। इस प्रकार योजना के अनुरूप विकसित क्षेत्र का आधिपत्य प्राप्त कर कलेक्टर ऐसे क्षेत्र को मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के प्रावधानों के अनुसार आबादी घोषित करेगें और इस प्रकार विकसित आबादी क्षेत्र में कलेक्टर भूमि अर्जन,पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के अनुसरण में विस्थापित कुटुम्ब को यथास्थिति मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिंता 1959 के प्रावधानों के अनुसार भूखंड या मकान आवंटित करेगा। ऐसे मामलें जिनमें वन भूमि (जिन भूमियों पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 आकर्षित होता है) किसी निजी कम्पनीध्भारत सरकार की कम्पनीध्निजी संस्थाओं (अपेक्षक निकाय) को परियोजना के लिये आवंटित की जाती हैं, ऐसे मामलों में प्रतिपूर्ति वनीकरण (वैकल्पिक वनीकरण) के लिये भारत सरकार के समय-समय पर जारी किये गये दिशा निर्देशों के अनुक्रम में वन विभाग को प्रभावित भूमि के बराबर भूमि दिये जाने की अनिवार्यता है, ऐसे मामलों में वन विभाग का ऊपर वर्णित अपेक्षक निकाय के व्यय पर शासकीय भूमि प्रतिपूर्ति वनीकरण के लिये ऐसी भूमि के सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य के 1.6 गुणा बराबर की राशि लेकर उपलब्ध कराई जायेगी। उपरोक्त राशि के अतिरिक्त भारत सरकार के दिशा निर्देश एवं राज्य सरकार के वन विभाग के निर्देशों के अनुसरण में वनीकरण के लिये व्यय की जाने वाली राशि भी अपेक्षक निकाय को पृथक से देना होगी। विधेयकों को विधानसभा में प्रस्तुत करने का अनुमोदन मंत्रि-परिषद ने तीन विश्वविद्यालयों मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय भोपाल, पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल और डाँ.बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू के अधिनियम में प्रति कुलपति पद के प्रावधान के लिये संशोधन विधेयक 2020 को विधानसभा में प्रस्तुत करने की मंजूरी दी। मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक 2020, मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (संशोधन) विधेयक 2020, मध्यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर (संशोधन) विधेयक 2020, मध्यप्रदेश हाई स्पीड डीजल उपकर (संशोधन) विधेयक 2020 और मध्यप्रदेश कराधान अधिनियमों की पुरानी बकाया राशि का समाधान विधेयक 2020 को अनुमोदित कर विधानसभा में पुररूस्थापित करवाने की सहमति दी। मध्यप्रदेश राज्य में खाद्य और दवाओं का अपमिश्रण रोकने के उद्देश्य से वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए एवं तात्कालिक विधान की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अपमिश्रणकर्ता के विरूद्व आजीवन कारावास की सजा का उपबंध करने के लिये दंण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2020 तैयार किया गया है। इसे भी मंत्रि-परिषद ने विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिये अनुमोदन दिया।
Created On :   24 Dec 2020 2:38 PM IST