तेंदूपत्ता श्रमिकों पर बेरोजगारी की लटक रही तलवार!

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तेंदूपत्ता श्रमिकों पर बेरोजगारी की लटक रही तलवार!

ठेकेदारों ने नहीं ली खरीदने में रुचि, वन विभाग के सभी सात गोदामों तीन वर्ष से भण्डारित

डिजिटल डेस्क  कटनी । जिले के 65 हजार तेंदूपत्ता श्रमिकों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है। दरअसल बीड़ी उद्योग में सुस्ती और ठेकेदारों द्वारा तेंदूपत्ता नहीं खरीदने से इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है। ठंड के मौसम में ही ठेकेदार तेंदूपत्ता खरीदने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन पिछले तीन वर्ष से ठेकेदार पत्ते की खरीदी में रुचि नहीं ले रहे हैं। जिससे वन विभाग के सातों तेंदूपत्ता गोदामों में करीब 40 हजार 204 मानक बोरा तेंदूपत्ता भण्डारित हैं। यदि गोदामों से तेंदूपत्ता का समय पर उठाव नहीं हो सका तो आगामी समय में तेंदूपत्ता की खरीदी में विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जिसका सबसे अधिक नुकसान मजदूरों के साथ समितियों को होगा।
यह है गोदामों की स्थिति
तेंदूपत्ता को भण्डारित रखने के लिए विभाग के पास मौजूदा समय में सात गोदाम हैं। झिंझरी संघ के पास पांच तो दो अन्य गोदाम अलग-अलग संघ में है। पिछले वर्ष जगह नहीं होने के कारण वन विभाग ने एक अतिरिक्त गोदाम भी किराए से लिया था। मौजूदा समय में गोदाम तेंदूपत्ता से भरे हुए हैं। वर्ष 2017 में 4167 मानक बोरे का उठाव नहीं हो सका। अगले वर्ष फिर से तेंदूपत्ता खरीदने के लिए ठेकेदार नहीं आए। जिसके कारण 2018 में यह आंकड़ा बढकऱ 5337 पर जा पहुंचा। इस वर्ष तो ठेकेदारों ने इस तरह से खरीदी से मुंह मोड़ा कि गोदामों में अभी भी 30 हजार मानक बोरा भण्डारित है।
कुटीर उद्योगों में मंदी
इसके पीछे प्रमुख वजह कुटीर उद्योगों में मंदी बताई जा रही है। विभागीय अधिकारी भी मान रहे हैं कि कई कारणों से बीड़ी उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। शहर में ही बीड़ी के तीन से चार कारखाने थे, अब नाममात्र के बचे हैं। जिससे तेंदूपत्ता की मांग कम हुई है। साथ ही इनमें काम करने वाले मजदूर भी दूसरा काम करने लगे हैं। कटनी के कुछ गांव बीड़ी श्रमिकों के लिए जाने जाते रहे, अब वहां ये श्रमिक दूसरे कामकाज में लग गए हैं।
तीन माह का समय
विभाग के पास तीन माह का ही समय बचा है। जब उसके पास तेंदूपत्ता बेचने के लिए वह समय रहेगा। जिसका असर आगामी समय में तेंदूपत्ता खरीदी पर पड़ेगा। विभागीय अधिकारी भी मान रहे हैं कि इस तरह की समस्या बनीं हुई है। यदि गोदाम ही खाली नहीं होंगे तो फिर तेंदूपत्ता खरीदने के बाद वे उसका क्या करेंगे। यह समझ से परे है। यदि समय में खरीददार मिल जाते हैं तो खरीदी प्रभावित नहीं होगी। अन्यथा इस पर विपरीत असर पड़ सकता है।
सीधे नुकसान श्रमिकों को
तेंदूपत्ता तोड़ाई पर जिले के हजारों श्रमिक पूरी तरह से निर्भर हैं। दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले श्रमिकों के पास यही एक जीवन-यापन का सहारा है। जब दो माह तेंदूपत्ता तोडकऱ बचत का सहारा खोज लेते हैं। यदि इसी तरह की स्थिति बनीं रही तो आगामी समय में तेंदूपत्ता की खरीदी पर कई तरह से संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
इनका कहना है
 यह सही है कि तेंदूपत्ता से गोदाम भरे हुए हैं। इस संबंध में भोपाल के अधिकारियों को जानकारी दी जा चुकी है। वहां से जिस तरह का निर्णय अधिकारी लेंगे, उनका पालन यहां पर किया जाएगा। यह समस्या कटनी नहीं बल्कि अन्य जिलों की भी है।
- आर.के.राय, डीएफओ कटनी
 

Created On :   28 Dec 2019 2:30 PM IST

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