अनोखा स्कूल - यहां शिक्षक ही अदा कर रहे बच्चों के अभिभावक की भूमिका

Unique School - The role of the guardian of the children playing the teacher here
अनोखा स्कूल - यहां शिक्षक ही अदा कर रहे बच्चों के अभिभावक की भूमिका
अनोखा स्कूल - यहां शिक्षक ही अदा कर रहे बच्चों के अभिभावक की भूमिका

घंघरीखुर्द प्राथमिक शाला में रखते हैं साबुन, तेल, कंघी तौलिया ताकि छात्र दिखें साफ-सुथरे
डिजिटल डेस्क कटनी
। जिन आदर्शों और मूल्यों के साथ गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, उन पर कुछ लोग चलकर इस जनतंत्र के सपने को साकार कर रहे हैं। जनपद शिक्षा केन्द्र कटनी के शासकीय प्राथमिक शाला घंघरी खुर्द के शिक्षक स्कूल में पढऩे वाले 80 बच्चों के लिए रोजाना अभिभावक की भूमिका भी अदा करते हैं। यहां  यदि कोई बच्चा बगैर तैयार हुए पहुंच जाए तो उनके साथ शिक्षक कड़ाई से पेश नहीं आते, बल्कि स्वयं ही बच्चों के हाथ-मुंह धुलाकर उन्हें तैयार करते हैं। जिससे की सभी बच्चे स्कूल में साफ-सफाई के साथ रहें। प्रधानाध्यापक रामसहाय बर्मन कहते हैं कि यदि हम सभी अपने-अपने दायित्वों का ईमानदारी से पालन करें तो इस पर्व का महत्व और बढ़ जाता है।
स्कूल में रखते हैं सामग्री
इसके लिए स्कूल में ही वे जरुरी सामग्री रखी जाती हैं, जिनसे बच्चे घर में तैयार होते हैं। इसके लिए साबुन, तेल, कंघी से लेकर तौलिया तक का उपयोग शिक्षक बच्चों को तैयार करने में माता-पिता की भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। यहां तक की बच्चों के यदि नाखून बढ़े हों तो प्रधानाध्यापक अपने पास स्वयं नेलकटर रखते हैं।
दरी पर ही बैठते हैं शिक्षक
सभी स्कूलों में बच्चे जहां दरी पर और शिक्षक कुर्सी में बैठते हैं। वहीं इस स्कूल में कक्षाओं की तस्वीरअलग दिखाई देती है। बच्चों को पढ़ाने का काम शिक्षक उसी दरी या चटाई पर बैठकर करते हैं,  जिस दरी में स्कूल के विद्यार्थी बैठकर पढ़ाई करते हैं। शिक्षकों  का कहना है कि इससे बच्चों और शिक्षकों के बीच की जो दूरी क्लास में बनी रहती है, वह कम होती है और उसका सार्थक परिणाम भी सामने आता है। बच्चे किसी तरह की परेशानी  शिक्षक को बिना झिझक बता सकते हैं। वहीं शिक्षक भी बच्चों की परेशानी अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
अभिभावकों को समझाईश
बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए अभिभावकों को भी समझाईश देने का काम किया जाता है। यूनिफार्म गंदी होने पर यहां के शिक्षक अभिभावकों को जवाब-तलब करते हैं ताकि अभिभावक भी बच्चों पर बराबर ध्यान रखें। प्रधानाध्यापक रामसहाय बर्मन ने कहा कि यह प्रेरणा उन्हें उन आर्थिक कमजोर परिवारों से
मिली। जिनके अभिभावक सुबह से मजदूरी के लिए काम में निकल जाते हैं। स्कूल के समय बच्चों को तैयार करने के लिए घर में कोई सदस्य नहीं होता,  ऐसे में कुछ बच्चे बगैर तैयार हुए ही चले आते हैं।
 

Created On :   24 Jan 2020 11:56 AM GMT

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