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पूरी रात पैदल चले, पैरों में पड़े गए छाले, पुलिस ने लगाया मलहम -नागपुर से आ रहे थे मजदूर
डिजिटल डेस्क कटनी। लॉक डाउन की घोषणा होते ही प्लांट भी बंद हो गया, अन्य साथी मजदूर टे्रनें, बसें बंद होने के पहले ही घरों को चले गए। सबकुछ बंद होने से खाने के लाले पड़ गए। ऐसी स्थिति में घर वापसी के अलावा कोई विकल्प नहीं लेकिन सबसे बड़ी समस्या संसाधन की थी। आखिर पैदल ही चलने का संकल्प लिया और नमकीन, बिस्कुट से भूख मिटाते हुए लगातार 18 घंटे चलकर किसी तरह परसिवनी तक पहुंचे। पैरों में छाले भी पडऩे लगे और एक कदम आगे बढ़ाना भी मुश्किल हो रहा था तब भी आगे बढऩे का हौसला कम नहीं हुआ। इन हालातों से
कटनी जिले के कुठला थाना क्षेत्र के ग्राम बड़ेरा के युवक जूझ रहे हैं जो एक प्लांट में काम करने नागपुर गए थे। इन पर लॉक डाउन मुसीबत का पहाड़ बनकर टूटा। घर से सैंकड़ों मील दूर एक प्लांट में काम करने 15 दिन पहले ही नौ युवक नागपुर गए थे। गुरुवार शाम पांच-छह बजे से जल्द से जल्द घर पहुंचने के लिए रात में कहीं रुके भी नहीं और बीच-बीच में रेस्ट करके शुक्रवार दोपहर 12 बजे महाराष्ट्र सीमा के परसिवनी तक पहुंचे। पैदल चलते-चलते पैरोंं में छाले भी पडऩे लगे थे। परसिवनी में युवकों ने पुलिस का वह मानवीय चेहरा भी देखा जब वे उनके लिए फरिश्ता बन गए। जब उन्हे भूख मिटाने के लिए बिस्कुट के पैकेट और पानी की बॉटल उपलब्ध कराईं। इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश की जा रहे एक डम्पर में बैठाकर युवकों को कटनी तक भेजा। इन्हे यह भी नहीं पता कि उन्होने कितने किलोमीटर रास्ता तय किया है। युवकों ने बताया कि गुरुवार शाम से शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक लगातार चलते रहे। बीच-बीच में थकान मिटाने रुके थे। कल से अब तक 70 से 80 किलोमीटर चल चुके होंगे।
18 घंटे बाद मिलीं 14 रोटियां-
इन्ही युवकों के साथ चल रहे आनंद पटेल ने भास्कर को बताया कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे रास्ते के एक गांव में एक व्यक्ति ने खाने के लिए 14 रोटियां दी, जो मिल बांट कर खाईं। प्रदीप पटेल कहते हैं कि भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि अब किसी तरह घर पहुंच जाएं। परसिवनी में पुलिस वालों ने रोककर पूछताछ शुरू की तो भय भी लगने लगा लेकिन जब उन्होने बिस्कुट और पानी दिया तब डर मिटा। उसी दौरान वहां पहुंचे एक डम्पर में बैठाकर जबलपुर की ओर रवाना किया।
मुम्बई में तीन दिन भूखे, प्यासे भटकते रहे 70 मजदूर-
काम करने मुम्बई गए बाकल क्षेत्र के 70 मजदूर तीन दिन तक भूखे प्यासे भटकते रहे। जानकारी मिलने पर प्रशासन ने उनके ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था कराई। बताया गया है कि यह युवक नवी मुम्बई में जिस खोली मे ंरहते थे मकान मालिक ने वहां से इन्हे निकाल दिया। तीन दिन तक सड़कों पर भूखे, प्यासे भटकने के बाद परिजनों का सूचना दी। परिजनों ने एसडीएम को अवगत कराया। एसडीएम रोहित सिसोनिया ने मुम्बई में प्रशासनिक अधिकारियों से बात की और युवकों का उसी खोली शिफ्ट कराया जहां वह रहते थे। अब यह युवक लॉक डाउन तक वहीं रुकेंगे और उन्हे भोजन भी मिलता रहेगा। इसी तरह डबरा (ग्वालियर) में बाकल क्षेत्र के मजदूरों के फंसे होने की जानकारी मिलने पर एसडीएम ने वहीं भोजन की व्यवस्था कराई। हरियाणा में फंसे 70, आगरा में विभिन्न स्थानों में फंसे 75, सूरत में 55 मजदूरों के ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था कराई।
140 मजदूरों को घर पहुंचाया-
बाकल क्षेत्र के लगभग 140 मजदूरों के अन्य जिलों में फंसे होने की जानकारी मिलने पर क्षेत्रीय विधायक प्रणय पांडेय ने अपने वाहनों से घरों तक पहुंचाया। जानकारी के अनुसार बांदकपुर के समीप समनापुर से 40, बांसा लुहरा से 16, हटा लक्ष्मणकुटी से 22 बनगवां से 22, एवं सागर से 40 मजदूरों को बसों एवं ट्रैक्टरों से लाकर उनके घरों तक पहुंचाया।
एक कॉल में मिलेगी हेल्प-
प्रदेश के अन्य जिलों और राज्य के बाहर बड़ी संख्या मेंं लोगों के फंसे होने की जानकारी मिलने पर शासन ने सहायता के लिए मोबाइल नम्बर जारी किया है। मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि जो परिवार और बच्चे अपने शहर, गांव से बाहर में हैं वे 898901180 पर सम्पर्क करके जानकारी प्रदान करें, उन्हे आवश्यक सहयोग मिलेगा। इन नम्बर पर व्हाटसएप की भी सुविधा है।
Created On :   28 March 2020 3:50 PM IST