निंबोली शेंडे के 30 किसानों की फसलें बर्बाद, अब तक 129.45 फीसदी बारिश

Wardha and Yavatmal - Crops of 30 farmers of Nimboli Shende ruined, so far 129.45 percent rain
निंबोली शेंडे के 30 किसानों की फसलें बर्बाद, अब तक 129.45 फीसदी बारिश
वर्धा और यवतमाल निंबोली शेंडे के 30 किसानों की फसलें बर्बाद, अब तक 129.45 फीसदी बारिश

डिजिटल डेस्क, वर्धा। आर्वी तहसील के निम्न वर्धा प्रकल्प के बैक वाटर के कारण समीपस्थ निंबोली (शेंडे) गांव के 30 किसानों का 150 एकड़ क्षेत्र के खेत दलदल में तब्दील हो गए हैं। इस कारण इन किसानों का बड़े प्रमाण में आर्थिक नुकसान हुआ है। शासन से यह जमीन अधिग्रहित करने की मांग किसानों ने की है, लेकिन इस ओर अनदेखी की जा रही है। समीपस्थ निंबोली (शेंडे) गांव का पुनर्वसन 2017-18 में दौलतपुर मौजा में आर्वी-देऊरवाड़ा मार्ग पर किया गया है, लेकिन इस गांव की बाकी बची 52 फीसदी खेत जमीन अब भी निंबोली शेंडे में होने से इन किसानों को करीब 18 किलोमीटर की दूरी तय कर निंबोली गांव में जाना पड़ता है। इस गांव में जाने के लिए एकमात्र कच्चा रास्ता होकर गांव के दोनों ओर निम्न वर्धा प्रकल्प के बैक वाटर के कारण करीब 150 एकड़ जमीन में दलदल हो जाने से हर वर्ष इसका परिणाम उत्पादन पर होगा। इसके अलावा बारिश के दिनो में इन किसानों को अपनी जान हथेली पर रखकर खेती करनी पड़ती है। खेती के चारों ओर से पानी का घेरा होने से जंगली जानवरों की परेशानी भी बढ़ गई है। निंबोली (शेंडे) पुनर्वसन गांव की बाकी बची खेती बैक वाटर के पानी के कारण अब भी सीमांकन नहीं किए जाने की बात प्रकल्पग्रस्त गांव के नागरिकों ने कही है। इस कारण खेतों की ओर आने वाले पानी का प्रमाण हर वर्ष बढ़ने से किसानों की खड़ी फसल का नुकसान हो रहा है। निंबोली (शेंडे) गांव के प्रकल्पग्रस्त किसान व पालकमंत्री की उपस्थिति में संबंधित पुनर्वसन विभाग के अधिकारियों को रास्ते की दुरुस्ती का काम पूर्ण करने का बताया था, लेकिन विभाग की ओर से रास्ता बनाने के संबंध में आनाकानी हो रही है। किसानों की आवाजाही के लिए कच्चा रास्ता बनाया गया है, लेकिन इस रास्ते से किसानों को आवागमन करने में परेशानी हो रही है। गत चार साल से प्रकल्प के बैक वाटर के कारण इन किसनों की खेती में बार-बार पानी आने से दलदल जमा हो जाता है। बैक वाटर का लगातार स्तर बढ़ने से बाधित क्षेत्र को निश्चित करने की मांग किसानों ने की है। गांव का 2017-18 में पुनर्वसन होने पर भी इन प्रकल्पग्रस्तों को 25 दर्जेदार नागरी सुविधा नहीं देने की बात प्रकल्पग्रस्तों ने कही है।

झिरपुरवाड़ी का सिंचाई तालाब फूटा

बीती रात मूसलाधार बारिश होने से दिग्रस तहसील में स्थित झिरपुरवाड़ी का सिंचाई तालाब फूट गया। जिससे उस परिसर में सैकड़ों हेक्टेयर फसलों का नुकसान हुआ है। साथ ही इस गांव को जलापूर्ति करने वाले कुएं पर लगाई गई मोटर पंप समेत अन्य सामग्री भी बह गई। 9 सितंबर को तालाब की दीवार सारस पक्षी द्वारा कुरेदने से तालाब लीक हो गया था। उस वक्त सिंचाई विभाग ने प्लास्टिक के बोरे में मिट्टी भरकर लीपापोती की थी। उस समय दीवार का काम मजबूत करने की बात झिरपुरवाड़ी के सरपंच पुरुषोत्तम कुडवे ने की थी|

लेकिन उस समय जिप सिंचाई उपविभाग पुसद के शाखा अभियंता ने तालाब नहीं फूटने की बात कही है। ताबाल फूट जाने से किसानों के हाथ में आई फसल चली गई। सोयाबीन, कपास, तुअर आदि फसलों का बड़े पैमाने में नुकसान हुआ है। ताबाल फूटने की जानकारी मिलते ही प्रभारी तहसीलदार बन ने घटनास्थल का निरीक्षण किया व फसलों का पंचनामा करने के आदेश दिए। जिसके बाद संबंधी पटवारी ने बर्बाद फसलों का पंचनामा कर रिपोर्ट भेज दी है।

यवतमाल जिले में अब तक 129.45 फीसदी बारिश

उधर यवतमाल जिले में लाखों हेक्टेयर में बुआई की गई। सोयाबीन और कपास की फसल अब तैयार हो गई है, लेकिन बीते 20 से 25 दिनों से जिले में लगातार बारिश शुरू है। इन दिनों में कभी एक तहसील में तो कभी दूसरी तहसील में भारी बारिश हो रही है। कुछ तहसीलों में अतिवृष्टि दर्ज की गई है। इतना ही नहीं जिले में अब तक कुल 129.45 फीसदी बारिश दर्ज की गई है। इन दिनों में जहां खेतों में तैयार फसल निकालने का काम होता है, लेकिन बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही है। ऐसे में तैयार फसल का भारी नुकसान होने की जानकारी किसानों ने दी है। 

सितंबर माह में होने वाली औसत बारिश का स्तर कुछ दिन पूर्व ही पूरा हो गया है। माह बीतने को 5 दिन शेष है। इस माह में कुल 139.45 फीसदी बारिश दर्ज की गई है। जिले की सभी तहसीलों में 100 फीसदी बारिश अथवा उससे अधिक दर्ज की गई है। दिग्रस, आर्णी और झरी जामनी तहसील में डेढ़ सौ फीसदी से अधिक बारिश हुई है। थोड़ी बारिश होने पर ही अब ग्रामीण क्षेत्र में छोटे-बड़े नदी नाले उफान पर हो जाते हैं। जिसके चलते नदी-नाले के किनारे के खेत जलमग्न होकर वहां फसलों को अधिक नुकसान हो रहा है। लगातार अतिवृष्टि और बाढ़ जैसे हालात से अब किसान परेशान हो गए हैं।

24 घंटे में 14.3 मिमी बारिश

जिले में बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। रालेगांव तहसील में बारिश थोड़ी कम हो रही है, लेकिन यहां भी 100 फीसदी से अधिक बारिश दर्ज की गई है। बीते 24 घंटे में यवतमाल तहसील में 22.2 मिमी, बाभुलगांव में 4.1 मिमी, कलंब में 2.2 मिमी, दारव्हा में 43 मिमी, दिग्रस में 57.7 मिमी, आर्णी में 4.8 मिमी, नेर 15.5 मिमी, पुसद 17.6 मिमी,  उमरखेड़ 8.6 मिमी, महागांव 21 मिमी, वणी में 0.9 मिमी, मारेगांव में 7.9 मिमी, झरी जामनी में 3.1 मिमी, पांढरकवड़ा में 0.6 मिमी, घाटंजी में 21.3 मिमी तथा रालेगांव में 0.7 मिमी बारिश दर्ज की गई। जिसका औसत 14.3 मिमी है। 


 

Created On :   26 Sep 2021 12:48 PM GMT

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