उमरिया: स्व-सहायता समूहों की महिलाओ को गौ-काष्ठ निर्माण के माध्यम से आर्थिक गतिविधि से जोडा जाएगा

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उमरिया: स्व-सहायता समूहों की महिलाओ को गौ-काष्ठ निर्माण के माध्यम से आर्थिक गतिविधि से जोडा जाएगा

डिजिटल डेस्क, उमरिया। उमरिया अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास विभाग मनोज श्रीवास्तव ने कहा है कि मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजनान्तर्गत निराश्रित गौवंश की सुरक्षा एवं देखभाल हेतु महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत गौशाला परियोजना (अधोसंरचना) का कार्य वृहद पैमाने पर किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक 3000 से अधिक गौशालायें परियोजनायें स्वीकृत की गई है जिनमें लगभग 3 लाख गौवंश को संरक्षित किया जाना लक्षित है। गौशाला परियोजनाओं के संचालन में स्टाल फीडिंग के लिये व चारे की उपलब्धता में जिले को आत्मनिर्भर बनाये जाने हेतु लगभग 1 लाख हेक्टर चरनोई भूमि में गौचर चारागाह विकास के कार्य संपादित कराये जाना लक्षित है तथा मनरेगा योजना से अब तक 1100 से अधिक चारागाह। गौचर विकास के कार्य स्वीकृत किये जाकर संपादन कार्य कराया जाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन के रूप में गौ-काष्ठ की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। गौ-काष्ठ का प्रयोग जलाऊ लकड़ी एवं कुछ अंशों में लकड़ी के कोयले के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। गौ-काष्ठ के प्रयोग से एक ओर वन संपदा पर बढ़ रहा दवाब कम होगा, जलाऊ लकड़ी की तुलना में प्रदूषण में कमी के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध होंगे। उपरोक्तानुसार वस्तुस्थिति के दृष्टिगत ग्रामीण क्षेत्र में गौ-काष्ठ निर्माण के लिए निर्देश जारी किए गए है। मनरेगा, पशुपालन, कृषि व अन्य मदों की राशि से निर्मित प्रत्येक गौशाला में जो गौवंश जा रहा है उसका संचालन एसआरएलएमके स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। समूहों को गोबर से गौकाष्ठ निर्माण के लिए मशीन की व्यवस्था और उसका क्च्ड के द्वारा समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षण जिला स्तर पर कराया जाए। ताकि प्रतिदिन गौवंश से उल्पादित गौबर का उपयोग गौ-काष्ठ के उत्पादन में किया जाए, और गौ-काष्ठ का भंडारण रखते हुए इसका विक्रय ग्राम पंचायत और समीप की ग्राम पंचायतों में किया जावेगा । प्रत्येक उपयंत्री के क्लस्टर, सेक्टर की किसी एक ग्राम पंचायत में गौ-काष्ठ निर्माण का कार्य राज्य आजीविका मिशन अंतर्गत स्व-सहायता समूह द्वारा किया जावे। यह समूह गौ-काष्ठ मशीन को उस सेक्टर की सभी गौशालाओं को चक्रबद्ध रूप से किराये पर दे सकेगा। गौ-काष्ठ मशीन का क्रय व स्थापना का कार्य स्व-सहायता समूह द्वारा समूह की बचत राशि या बैंक से ऋण लेकर किया जावेगा। समूह द्वारा गोठान से गोबर एकत्रित कर या पशुपालकों से क्रय कर गौ-काष्ठ का निर्माण किया जावेगा तथा गौ-काष्ठ को विक्रय करने के लिये समूह स्वतंत्र होगा। शांतिधाम, मुक्तिधाम में गौ-काष्ठ के उपयोग हेतु ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों में अभिप्रेरणा और शांतिधाम मुक्तिधाम में दीवार लेखन के माध्यम से ग्रामीणों को गौ-काष्ठ के उपयोग हेतु प्रोत्साहित किया जावे। समूह द्वारा गौ-काष्ठ का विक्रय मनरेगा अंतर्गत निर्मित शांतिधाम, मुक्तिधाम हेतु प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा। होली का त्यौहार गौ-काष्ठ से मनाया जाना लक्षित है। होली के अवसर पर होलिका दहन में गौ-काष्ठ के उपयोग को पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण हितैषी के साथ ही इस पुनीत कार्य के बतौर, जिससे पर्यावरण के साथ ही गौवंश के शुद्ध गौ-काष्ठ का उपयोग और स्वसहायता समूहों की प्रगति में भागीदारी के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए चौपालों का आयोजन समूहों और ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराया जावे। यदि अतिरिक्त गौ-काष्ठ का उत्पादन होता है तो उसका उपयोग हवन आदि अन्य कार्यों में करने के लिए सम्बंधित छोटे/बड़े दुकानदारों, मंदिरों आदि से मार्केट लिंकेज कराते हुए उनके नियमित बिक्री की व्यवस्था एसआरएलएम के जिला टीम के माध्यम से कराई जा सकेगी जिससे गौ-काष्ठ उत्पादन का सदुपयोग, समूहों की आय में नियमित वृद्धि, गौवंश से उत्सर्जित गोबर के उपयोग, पर्यावरण संरक्षण, गौशाला संचालन आदि विभिन्न गतिविधियों में किया जावे। जिला स्तर पर मजदूरी सामग्री अनुपात 60:40 का संधारण तथा योजना के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करते हुये निर्माण कराया जावे। गौ-काष्ठ घटक निर्माण से स्वसहायता समूह के सदस्यों को स्थायी रोजगार का अवसर प्राप्त होगा तथा अर्जित आय से उनकी आजीविका सुदृढ़ होगी साथ ही मनरेगा अंतर्गत निर्मित इन वृहद संरचनाओं का ग्राम स्तरीय संचालन सुलभ होगा एवं परियोजनाओं को स्वावलंबी बनाये जाने में मदद मिलेगी। एक माह की अवधि में गौ-काष्ठ निर्माण प्रारंभ किये जाने के निर्देश दिए गए है।

Created On :   28 Nov 2020 3:16 PM IST

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