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MP : 20 आदिवासी जिलों में शिक्षा में सबसे पिछड़ा उमरिया, करोड़ों खर्च, पर नतीजा बेअसर
डिजिटल डेस्क, उमरिया। एमपी सरकार आदिवासी विकास के लिए जन्म से लेकर मृत्यु तक खानपान, शिक्षा और कौशल उन्नयन में 30 तरह की योजनाएं संचालित कर रही है। प्रति व्यक्ति औसतन करोड़ों रुपए खर्च के बाद भी जिले में आदिवासी जनजीवन बदहाल है। पिछले चार साल से इस आदिवासी जिले का शैक्षिक स्तर महज 30% रहा है। आदिम जाति कल्याण विभाग के मुताबिक, उमरिया की परफारमेंस शहडोल संभाग में सबसे घटिया आंकी गई है। यह स्थिति तब है जब जिले की एक विधानसभा सीट से पूर्व विधायक ज्ञान सिंह प्रदेश शासन में आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग ने एमपी के 20 आदिवासी जिलों का शैक्षिक स्तर अलग से संरक्षित होता है। उमरिया एमपी के 6 उन जिलों में शुमार है, जहां आदिवासी कल्याण के लिए अलग विभाग "बैगा" कार्यरत है। वहीं जिले में आदिवासी सहायक आयुक्त का कार्यालय संचालित है। एक आदिवासी ब्लॉक, एकलव्य स्कूल, आधा दर्जन आदिवासी छात्रावास में शासन प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।
शहडोल, अनूपपुर की स्थिति बेहतर
आदिमजाति कल्याण विभाग के रिकार्ड अनुसार उमरिया की तुलना में अनूपपुर व शहडोल की स्थिति बेहतर है। शहडोल मेें आदिवासी हाई स्कूल परीक्षा परिणाम 2013 में 31.21 % से बढ़कर वर्ष 2016 में 40.90 % पहुंच गया। इसी तरह अनूपपुर 2013 में 42.62 % से बढ़कर 46.61 % दर्ज हुआ। दोनों की तुलना में उमरिया 2013 में 33.00 % पर था, 2016 में यह आंकड़ा 30.68 % के रूप में और गिर गया। वहीं हायर सेकेण्डरी में उमरिया 60.59 % से वर्ष 2016 में 38.13 % पर अटक गया। संभाग के दोनों जिलों की अपेक्षा उमरिया क्षेत्र और आबादी के लिहाज से छोटा जिला है। यहां अपेक्षाकृत ज्यादा ग्रोथ होनी थी।
Created On :   8 Aug 2017 9:47 PM IST