ट्रोल करने के लिए सियासी दलों ने पाल रखें हैं लोग, उन्हें नजरअंदाज करें

ट्रोल करने के लिए सियासी दलों ने पाल रखें हैं लोग, उन्हें नजरअंदाज करें
पत्रकार हमला विरोधी कानून परिषद में राज ठाकरे ने कहा

डिजिटल डेस्क, पुणे। महाराष्ट्र में पत्रकारिता आज भी जीवित है। मैंने पत्रकारिता में भी कई सालों तक काम किया है। मार्मिक में ब्लॉक लगाने का काम किया, वहां से लेकर अखबार छपने तक का सफर इसमें देखा गया है। मैं पत्रकारिता से राजनीति में आया हूं, आज की पत्रकारिता भी देख रहा हूँ। पत्रकारिता पर हमले निंदनीय हैं। ट्रोलिंग पर ध्यान न दें, मोबाइल की वजह से कई निष्क्रिय लोग भी अपनी बात कहने लगे हैं। सियासी दलों ने तो ट्रोल करने के लिए लोग पाल रखें हैं। उनकी ट्रोलिंग को पढ़ना ही क्यों? महाराष्ट्र के हित के बारे में साहसपूर्वक बोलें और लिखें, यह सलाह मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को पिंपरी चिंचवड़ एडिटर गिल्ड्स की ओर से निगडी के गादिमा सभागृह में आयोजित पत्रकार हमला विरोधी कानून परिषद में दी।

ठाकरे ने कहा, अगर हम पर हमला होता है तो हमें भी गुस्सा आता है। इसलिए किसी पर हमला नहीं करना चाहिए। दूसरी ओर अजित पवार सत्ता में आए, आपको उनपर सवालों से हमला करना चाहिए। क्योंकि प्रधानमंत्री जिस व्यक्ति पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाता है वह सत्ता में आ जाता है। व्यक्ति बहुत झूठ बोलता है, लोग उस पर हंसते हैं तो उसे बहुत गुस्सा आता है। पत्रकारों पर हमला होगा तो राज ठाकरे हमेशा आपके साथ रहेंगे। कोई भी सत्ता की अमरपत्र लेकर नहीं आता। जिस दिन सत्ता आती है, उसी दिन से सत्ता जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मुझसे पूछा जाता है कि आपकी सभा में भीड़ होती है लेकिन, वोट नहीं मिल रहे हैं। फिर 2009 में क्या हमारे 13 विधायक मटके के आंकड़ों पर चुने गए? लोकसभा उम्मीदवारों को लाखों वोट मिले। हर किसी का एक समय होता है। बीजेपी की शुरुआत में कितने सांसद थे? अटल बिहारी वाजपेई, बाला साहेब ठाकरे भी बड़ी-बड़ी सभाएं कर रहे थे, लेकिन वोट कितने पड़ रहे थे। उस समय कांग्रेस के अलावा विकल्प ही क्या था।

आज कई पत्रकार बर्बाद हो गए हैं, वे खुद ही बड़े-बड़े पदों पर बैठे हैं। पत्रकारों ने मंत्रियों के साथ काम करना शुरू कर दिया है। पहले यह गुपचुप तरीके से किया जाता था। अब खुलकर काम कर रहे हैं। ये लेबल वाले पत्रकार सम्मेलन में आते हैं और हमसे सवाल पूछते हैं। वे ये क्या बोले, ये क्या बोले जैसे सवाल पूछ रहे हैं। राजनीति का स्तर, भाषा बदल गयी है। जैसा आप दिखाते हैं वैसा ही वे बात करते हैं।' ठाकरे यह भी कहा, यह बहुत गलत और निंदनीय है कि पत्रकारों पर हमला किया जा रहा है। जब आप लिखते हैं, व्यक्त करते हैं तो ट्रोल होते हैं, लेकिन आप इसे क्यों पढ़ते हैं? एक बार मेरा भाषण, साक्षात्कार हो गया। एक बार शब्द चले गए तो किसी को भी कुछ भी महसूस होगा।

आराम से बैठकर यह न देखें कि आपको कौन पसंद है। जब से मोबाइल नामक खिलौना हाथ में आया है, बहुत से बेकार लोग अपनी बात कहने लगे हैं। वे सोचते हैं कि घर बैठे क्या करें। फिर इस तरह ट्रोल किया जाता है। वे इतिहास, समाचार, पत्रकारिता के बारे में कुछ नहीं जानते। वे सिर्फ खुद को अभिव्यक्त करते हैं। ऐसे लोग हैं जिनका राजनीतिक दल अनुसरण करते हैं। राज ठाकरे ने पत्रकारों से यह भी पूछा कि आप उन लोगों पर प्रतिक्रिया क्यों देते हैं जो उन्हें फॉलो करते है। उन्हें हर महीने इन्हें लिखने के लिए पैसे मिलते हैं, आप उनके बारे में क्यों सोचते हैं। महाराष्ट्र के हित में क्या है, इसके बारे में बिना डरे लिखना और बोलना महत्वपूर्ण है।

इस परिषद में राज ठाकरे के हाथों पत्रकारिता में हमले झेल चुके कमलेश सुतार, अनिल म्हस्के, संदीप महाजन, अविनाश खंडारे, अश्विनी सातव डोके, नितिन पाटिल, आशीष देशमुख, महेश तिवारी, तुषार तपासे, सागर सुरवासे, गोविंद वाकडे आदि पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इस दौरान हुए चर्चासत्र में वरिष्ठ पत्रकार सुनील माली, सम्राट फड़नीस, अविनाश थोरात, संजय आवटी, मंदार फनसे, शीतल पवार, नाना कांबले, अविनाश चिलेकर आदि सहभागी हुए।

Created On :   19 Aug 2023 6:41 PM IST

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