नवरात्रि का पांचवा दिन: आज करें स्कंदमाता की पूजा, खुलेंगे मोक्ष के द्वार 

The fifth day of Navratri: worship Skandmata today, the door of salvation will open
नवरात्रि का पांचवा दिन: आज करें स्कंदमाता की पूजा, खुलेंगे मोक्ष के द्वार 
नवरात्रि का पांचवा दिन: आज करें स्कंदमाता की पूजा, खुलेंगे मोक्ष के द्वार 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि का हर दिन देवी दुर्गा के नो रूपों में से एक रूप को समर्पित रहता है। इसी प्रकार नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता को समर्पित रहता है, जो कि आज 21 अक्टूबर बुधवार को है। आज देवी दुर्गा को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाएगा। मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी हो जाती है। 

मान्यता यह भी है कि स्कंदमाता संतान प्राप्ति का भी वरदान भक्तों को देती हैं। वे समस्त मानव जाति के मोक्ष के द्वार को खोलने वाली स्कन्दमाता परम सुख को प्रदान करने वाली हैं। आइए जानते हैं पूजा विधि और मंत्रों के बारे में... 

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ऐसे करें पूजा
- स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।
- अब घर के मंदिर या पूजा स्‍थान में चौकी पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा स्‍थापित करें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- अब एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें और उसे चौकी पर रखें।
- अब व्रत और पूजा का संकल्‍प लें।
- इसके बाद स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें।
- सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें।
- माता की प्रतिमा या मूर्ति पर अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार और भोग अर्पित करें। 
- अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें।
- आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें।

सकंद की माता
शिवपुत्र "कार्तिकेय" स्कंद कुमार के नाम से भी जाने जाते हैं। कार्तिकेय देव देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इनको कुमार और शक्ति बल कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

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स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की ऊपर की भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में और ऊपर वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुए हैं। ये कमलासन पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है।

स्तुति श्लोक 
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। 
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।

स्तुति मन्त्र:- 
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

Created On :   21 Oct 2020 3:16 AM GMT

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