व्रत: संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि

Utpanna Ekadashi : Make this fast for children and salvation, know worship method
व्रत: संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि
व्रत: संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो कि इस वर्ष 11 दिसंबर यानी कि आज है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है। मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी से ही सभी एकादशी व्रत की शुरुआत होती है। 

माना जाता है कि जो मनुष्य जीवन पर्यन्त एकादशी को उपवास करता है, वह मृत्युपरांत वैकुण्ठ जाता है। एकादशी के समान पापनाशक व्रत दूसरा कोई नहीं है। एकादशी-माहात्म्य को सुनने मात्र से सहस्रगोदानोंका पुण्यफलप्राप्त होता है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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शुभ मुहूर्त
तिथि शुरू: 11 दिसंबर, सुबह 5 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक 
संध्या पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 43 मिनट से शाम 7 बजकर 3 मिनट तक
पारण: 12 दिसंबर - सुबह 6 बजकर 58 मिनट से सुबह 7 बजकर 2 मिनट तक ( 2020) 

व्रत के प्रकार
इस व्रत को दो प्रकार से रखा जा सकता है- निर्जल व्रत और फलाहारी। 
यदि जातक बीमार है तो उसे यह व्रत नहीं करना चाहिए। इस व्रत में दशमी को रात में भोजन करने से बचना चाहिए। इस व्रत में भगवान कृष्ण को केवल फलों का ही भोग लगाएं। 

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पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन, और रात को दीपदान करना चाहिए।उत्पन्ना एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए। व्रत की समाप्ति पर श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। अगली सुबह यानी द्वादशी तिथि पर पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करना चाहिए।

Created On :   7 Dec 2020 11:55 AM GMT

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