Interrogation: इंटरोगेशन से पर्दे पर दस्तक देते मनु सिंह: नए सिनेमा की सच्ची आवाज़

फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर पहचान विरासत से मिलती है, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ अपनी मेहनत और जज़्बे के बल पर उभरते हैं। मनु सिंह ऐसे ही कलाकारों की नई लहर का हिस्सा हैं, और उनकी पहली फिल्म इंटरोगेशन इसका प्रमाण है।
दिल्ली के एक सामान्य से माहौल में पले-बढ़े मनु के पास ना तो कोई फिल्मी रिस्तेदारी थी, ना कोई चमकदार संपर्क। लेकिन भीतर से कुछ अलग था—किरदारों को महसूस करने और आत्मसात करने की एक गहरी समझ। उन्होंने मंच पर अभिनय करते-करते सीखा, अपने अनुभवों से संवेदनशीलता अर्जित की, और वहीं से यह सफर शुरू हुआ।
एक वक्त ऐसा भी आया जब ऑडिशन में असफलता ने उन्हें तोड़ा, लेकिन एक दोस्त की सलाह ने रास्ता बदला। इंटरोगेशन के लिए दिया गया वो ऑडिशन उनके जीवन का निर्णायक मोड़ बन गया।
इस मौके को पहचानने वाले थे पियूष दिनेश गुप्ता—वो निर्माता जो पिछले कई वर्षों से ऐसी कहानियों की खोज में हैं जो परंपरा से अलग हों। पियूष का मानना है कि नए कलाकारों में एक खालिस ऊर्जा होती है, जो स्क्रीन पर नकलीपन को पीछे छोड़ देती है। “मनु जैसे एक्टर्स दिखाते नहीं, वो जीते हैं,” पियूष कहते हैं।
पियूष दिनेश गुप्ता सिर्फ एक निर्माता नहीं, बल्कि कंटेंट की आत्मा को पहचानने वाले रचनात्मक सोच वाले इंसान हैं। उनकी कंपनी ‘नाम में क्या रखा है’ का मकसद भी यही है—सिर्फ बड़े नामों पर नहीं, सच्ची कहानियों और ईमानदार कलाकारों पर विश्वास करना। वे इंडस्ट्री में ऐसे चेहरों को जगह देने की कोशिश कर रहे हैं जो बिना किसी बैकग्राउंड के भी कुछ कहने की काबिलियत रखते हैं।
फिल्म में मनु का किरदार विशाल पराशर एक ऐसा आम इंसान है जो अपनी ही भावनाओं में उलझा हुआ है—डर, अपराधबोध और भ्रम के बीच। इस भूमिका में गहराई लाने के लिए मनु ने वास्तविक पुलिस थानों में समय बिताया, कोर्ट केस देखे और खुद को मानसिक रूप से उस माहौल में डुबो दिया।
अजय वर्मा राजा के निर्देशन में बनी यह फिल्म लद्दाख की शांत वादियों में शूट हुई है। निर्माता हैं पियूष दिनेश गुप्ता, और सह-निर्माता हैं आर्यन ब्रदर्स (कुंवर प्रग्य आर्य और इंदरवीर)।
इंटरोगेशन 30 मई 2025 को Zee5 पर स्ट्रीम होगी।
मनु सिंह उस बदलाव का चेहरा हैं जो भारतीय सिनेमा को नई दिशा दे रहा है। और उनके साथ खड़े हैं निर्माता जैसे पियूष दिनेश गुप्ता, जो मानते हैं कि सिनेमा तब ही सच्चा होता है जब वो दिल से निकल कर दर्शक के दिल तक पहुँचे।
Created On :   24 May 2025 1:41 PM IST