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दैनिक भास्कर हिंदी: किशोर कुमार के 10 दिलचस्प किस्से
डिजिटल डेस्क, मुंबई । किशोर कुमार फिल्मी जगत की एक ऐसी धरोहर हैं जिन्हें शायद फिर संवारने में कुदरत को भी कई सदियां बीत जाएंगी। उनकी जादुई आवाज आज भी लोगों के सिर चढ़कर बोलती है। पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी उनकी आवाज की दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी। वे कब क्या कर बैठें, यह कोई नहीं जानता था। उनके कई किस्से बॉलीवुड में प्रचलित हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं।
4 अगस्त को मध्य प्रदेश में जन्मे किशोर कुमार का बचपन का नाम आभास कुमार गांगुली था, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने किशोर कुमार के नाम से अपनी पहचान बनाई ।
बचपन में बेसुरे थे किशोर कुमार
किशोर का बचपन से एक ही सपना था कि वो अपने बड़े भाई अशोक कुमार से ज्यादा पैसे कमाए और केएल सहगल जैसा गाना गाएं, लेकिन किशोर बचपन में बेहद बेसुरे थे , हालांकि सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया।
रशोकि रमाकु
अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहना किशोर कुमार का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ करने में, उन्होंने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर कहते थे- रशोकि रमाकु। यानि कि किशोर कुमार ।
तीन नायकों को बनाया महानायक
किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए।
रफी से आवाज उधार ली
मोहम्मद रफी ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज फिल्म 'रागिनी' में उधार दी। गीत हैं- 'मन मोरा बावरा।' इसके अलावा भी रफी ने किशोर के लिए कई गीत गाए।
मेहमूद से लिया बदला
फिल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन मेहमूद ने किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। इसका बदला उन्होंने मेहमूद से लिया फिल्म 'पड़ोसन' में डबल पैसा लेकर ।
'खंडवे वाले' किशोर की राम-राम
किशोर कुमार जब-जब स्टेज-शो करते, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम संबोधन करके किया करते थे ।
हरफनमौला : गीतों का झोला
किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई की, इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से । हर सोमवार सुबह खंडवा से रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफिरों को नए-नए गाने सुनाकर उनका खूब मनोरंजन किया करते थे।
आकाशवाणी पर हो गये थे बैन
उन्होंने इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब उनके गानों को बैन कर दिया गया। साल 1975 में इंदिरा गांधी सरकार के आपात का शिकार किशोर कुमार भी हुए थे। आपातकाल के दौरान सरकार चाहती थी कि सरकारी योजनाओं की जानकारी किशोर कुमार अपनी आवाज में गाकर दें, लेकिन किशोर दा ने मना कर दिया । जिसके बाद किशोर के गानों को ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर बैन कर दिया गया । ये बैन 3 मई 1976 से लेकर आपातकाल खत्म होने तक जारी रहा।
चार शादियां करने बाद भी किशोर कुमार को नहीं मिला सच्चा प्यार
गायकी की दुनिया में करियर को संवारने वाले किशोर अपनी जिंदगी नहीं संवार पाए। किशोर दा ने चार शादियां की, लेकिन उन्हें अपनी तीन शादियों से निराशा ही हाथ लगी।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl