राजकुमार राव का असली नाम राजकुमार यादव है। इसके साथ ही ये भी बता दें कि राजकुमार की मां ज्योतिष में काफी विश्वास करती हैं इसलिए उन्होंने राजकुमार के अंग्रेजी नाम में एक एक्सट्रा एम जुड़वा दिया है। इस तरह उनके नाम की स्पेलिंग है rajkummar Rao। यही नहीं उनकी मां ने ही उनका सरनेम बदलकर यादव से राव कर दिया है। उनका मानना है कि इससे उनके बेटे की प्रसिद्धि और कामयाबी बढ़ेगी। राजकुमार राव एक्टिंग के लिए शुरू से ही दीवाने थे। वे स्कूल में मिमिक्री किया करते थे, उन्हें पहली बार एक्टिंग का कीड़ा तब काटा था जब उन्हें 10वीं क्लास में एक स्टेज परफॉर्मेंस करने का मौका मिला। फिर क्या था एक्टिंग के प्रति उनकी दीवानगी बढ़ती गई। सिर्फ थियेटर करने के लिए राजकुमार अपने कॉलेज के दिनों में साइकिल चलाकर गुरुग्राम से दिल्ली जाते थे।
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दैनिक भास्कर हिंदी: राजकुमार राव के फर्श से अर्श तक के किस्से
डिजिटल डेस्क, मुंबई। साइबर सिटी गुरुग्राम में 31 अगस्त 1984 को पैदा हुए एक्टर राजकुमार का बॉलीवुड में आज कोई सानी नहीं है। उन्होंने बॉलीवुड में साल 2010 में फिल्म 'लव सेक्स और धोखा' से कदम रखा था। इन 8 सालों के बीच राजकुमार ने 'काय पो छे', क्वीन, न्यूटन जैसी जबरदस्त फिल्मों में अलग-अलग रोल प्ले किए है। उनकी एक्टिंग का लोहा सभी ने माना, चाहे वह दर्शक हों या फिर फिर आलोचक। यही वजह है कि आज उनकी झोली में नेशनल अवार्ड शामिल है, तो वहीं उनकी फिल्म न्यूटन ऑस्कर के लिए भी चुनी गई थी। राजकुमार राव इस बार अपना 34 वा जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहे हैं। ऐसे में बात करेंगे राजकुमार राव की उन बातों के बारे में जिनसे शायद आप अभी तक अंजान होंगे।


राजकुमार, शाहरुख और आमिर खान के बहुत बड़े फैन हैं। राजकुमार, आमिर के इतने जबरदस्त फैन हैं कि उन्होंने फिल्म 'तलाश' सिर्फ इसलिए की थी ताकि वो आमिर के साथ काम कर सकें।

मुंबई पहुंचकर राजकुमार को बॉलीवुड करियर की शुरुआत के लिए कई डायरेक्टर के चक्कर लगाने पड़े। हालांकि इसी बीच उन्हें एक एड दिखा जिसमें लिखा था कि डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी को अपनी नई फिल्म के लिए एक्टर्स की तलाश है। बस फिर क्या था राजकुमार राव ऑडीशन देने पहुंचे जहां वो फिल्म 'लव सेक्स और धोखा' के लिए सेलेक्ट हो गए। न्यूकमर एक्टर राजकुमार ने अपनी एक्टिंग के बल पर पहली ही फिल्म से साबित कर दिया कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं। इसके बाद अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में नजर आए। जिसमें शमशाद आलम के किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया।

हालांकि उन्हें असली पहचान साल 2013 में आई फिल्म काई पो छे से मिली। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर का अवॉर्ड मिला था। इसी साल 'शाहिद' में दमदार एक्टिंग के लिए भी उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया।

यूं तो राजकुमार कई फिल्मों में लीड रोल कर चुके हैं लेकिन कई फिल्मों में उन्होंने बहुत छोटे रोल भी किए हैं। गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 में उनका एक छोटा सा रोल था तो वहीं फिल्म शैतान और सुपर डुपर हिट फिल्म क्वीन और हमारी अधूरी कहानी जैसी फिल्मों में भी उन्होंने छोटे रोल किए हालांकि उनके ये किरदार हमेशा छोटा पैकिट बड़ा धमाका ही साबित हुए। फिल्म 'बोस' के लिए उन्होंने अपना वजन बढ़ाकर सबको चौका दिया, तो फिल्म राबता में उनका जो लुक था वह पूरी फिल्म पर भारी पड़ गया। फिल्म तो पिट गई लेकिन लोगों को 125 साल का वो बूढ़ा आज भी याद है।

राजकुमार रोल में ढलने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। फिल्म 'ट्रैप्ड' के लिए खुद को उन्होंने कई दिनों तक भूखा रखा। तो वहीं शुद्ध शाकाहारी होने के बावजूद उन्हें इस फिल्म के लिए मीट भी खाना पड़ा।एक इंटरव्यू के दौरान राजकुमार ने कहा था कि यह उनके एक्टिंग करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण काम था।

राजकुमार राव ने FTII पुणे से एक्टिंग की शिक्षा ली है। यहां उन्होंने न सिर्फ एक्टिंग सीखी, बल्कि उनका प्यार पत्रलेखा भी उन्हें यहीं मिला। एक शॉर्ट फिल्म की शूटिंग के दौरान दोनों को इसी जगह पर एक-दूसरे से प्यार हुआ था।
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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