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मथुरा में मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य

हाईलाइट
- मथुरा में मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य
मथुरा, 10 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मथुरा प्रशासन ने अब अंतिम संस्कार के लिए अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है।
राया पुलिस स्टेशन में पुलिस द्वारा 47 पहचाने गए व्यक्तियों सहित 72 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद मंगलवार को यह निर्णय लिया गया। आईपीसी की धारा 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने के लिए लापरवाही बरतना ) के तहत और प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने के लिए मामला दर्ज किया गया है।
बड़ी संख्या में लोग एक ऐसे शख्स के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे जो मौत के बाद कोरोना से संक्रमित पाया गया।
मृतक राया में एक जाने-माने व्यापारी थे। उनका शनिवार को फरीदाबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया और उसी दिन उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालांकि, रविवार को जांच रिपोर्ट में उनके कोरोना से संक्रमित होने का पता चला।
महावन सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) जगप्रवेश ने कहा, परिवार को जिला प्रशासन को सूचित करना चाहिए था अगर अस्पताल ने कोरोना जांच के लिए उसके नमूने ले लिए थे। हम अब उसके संपर्क में ओ लोगों का पता लगाने को लेकर मुश्किल का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनमें से कई अन्य गांवों से हैं। लगभग 100 प्राइमरी कॉन्टेक्ट जिनमें 30 ज्यादा जोखिम वाले व्यक्ति शामिल हैं, जिन्होंने मृत शरीर को छुआ, उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है।
एसडीएम ने आगे कहा, हम आपको आश्वासन देते हैं कि आवेदन जमा करने के 30 मिनट के भीतर अनुमति मिल जाएगी। हमने उप-संभाग में अब तक 200 से अधिक शादियों की अनुमति दी है।
इस बीच, राया शहर में एक डॉक्टर के बेटे सहित दो और लोग कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं और स्वास्थ्य विभाग इनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाना शुरू कर दिया है।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।