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दिल्ली एयर पॉल्यूशन: 5 साल में 981 लोगों की मौत, 17 लाख प्रभावित
हाईलाइट
- दिल्ली में एयर पॉल्यूशन से बढ़ रहा मौत का आंकड़ा।
- पांच साल में पॉल्यूशन से 981 लोगों की मौत।
- एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से 17 लाख लोग प्रभावित।
- संसद में स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में एयर पॉल्यूशन के कारण मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में पांच साल में ( 2013 से 2017) एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (ARI) के चलते 981 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 17 लाख लोग अब भी इस बीमारी से प्रभावित हैं। मंगलवार को संसद में स्टैंडिंग कमिटी की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
पर्यावरण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय उठाए जरूरी कदम
कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पॉल्यूशन संबंधी बीमारियों का अधिक खतरा है। पॉल्यूशन की इस समस्या को देखते हुए कमिटी संबंधित अथॉरिटीज के साथ तीन बैठकें भी कर चुकी है। कमिटी का कहना है दिल्ली में एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारियों और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाना चाहिए।
छोटे बच्चे, नवजात सबसे ज्यादा प्रभावित
रिपोर्ट के मुताबिक पॉल्यूशन से सबसे अधिक प्रभावित छोटे बच्चे, नवजात और दमा के मरीज हैं। कमिटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को जागरुकता अभियान चलाने का सुझाव भी दिया है जिससे लोग एयर पलूशन के कारण होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक हो सकें।
सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली टॉप 20 में
2016 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली टॉप 20 में थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरों में रहने वाले लोगों में ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों के मुकाबले अधिक सांस संबंधी बीमारियों के लक्षण पाए गए हैं।
फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे नॉन-स्मोकर
यूनीसेफ की पिछले साल की एक रिपोर्ट के अनुसार एयर पॉल्यूशन की वजह से बच्चों के दिमाग को बहुत नुकसान पहुंचता है। सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के डॉ. अरविंद कुमार ने बताया वर्तमान में पॉल्यूशन स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा संकट है। वहीं हाल में ही की गई एक जांच में डॉ. कुमार ने पाया था कि मार्च 2012 से जून 2008 तक में 150 लोग फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे थे, जिनमें से अधिकतर लोग स्मोकर नहीं थे।
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।